सर्दियों में बढ़ सकती हैं सांस व गले की बीमारियाँ, अपनाएं आयुर्वेदिक जीवनशैली: डॉ. इंदु शर्मा

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By पंकज जयसवाल

नाहन : जिला आयुष अधिकारी डॉ. इंदु शर्मा ने सर्दी के मौसम की शुरुआत में स्वास्थ्य को लेकर महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक सुझाव साझा किए हैं। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में अधिकांश बीमारियाँ गलत दिनचर्या और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण बढ़ती हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाकर कई मौसमी रोगों से आसानी से बचा जा सकता है। यदि हम छोटे-छोटे आयुर्वेदिक नियमों को अपनाएँ, तो कई रोगों से स्वाभाविक रूप से बचा जा सकता है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि दिन की शुरुआत सही तरीके से करना अत्यंत आवश्यक है। सुबह उठते ही एक से दो गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए। यदि किसी को खांसी, गला खराब या टॉन्सिल की समस्या है तो गुनगुने पानी में एक चुटकी कच्ची हल्दी मिलाकर पीना एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक की तरह प्रभावी काम करता है। वहीं जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोग रातभर भीगी मेथी को सुबह हल्का गर्म करके पीसकर लें तो काफी राहत मिलती है।

उन्होंने बताया कि तुलसी का पानी भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी है। इसके लिए सुबह काँच की बोतल में पानी भरकर उसमें तुलसी की पत्तियाँ डालें और दिनभर वही पानी पिएँ। यह सरल उपाय कई तरह की मौसमी बीमारियों से बचाव करता है।

डॉ. इंदु शर्मा ने कहा कि सुबह 11 बजे के करीब एक या दो फल अवश्य लेने चाहिए। फल विटामिन, मिनरल, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और शरीर की प्राकृतिक कमी को दूर करते हैं। उन्होंने बताया कि दोपहर के भोजन से पहले गाजर या मूली का सेवन करना बहुत लाभकारी है, जिससे एनीमिया और यूरिन इन्फेक्शन की समस्याएँ काफी हद तक नियंत्रित रहती हैं।

शाम के समय हल्के स्नैक्स के रूप में भुने चने, मखाने या ड्राई फ्रूट्स लेने की सलाह दी। साथ ही घर पर बनी हर्बल टी—दालचीनी, अदरक-नींबू, तुलसी या पुदीना—से पाचन सुधरता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि ड्राई फ्रूट्स में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा में होते हैं, जो त्वचा, पाचन और प्रतिरोधक क्षमता के लिए फायदेमंद हैं।

डॉ. शर्मा ने विशेष रूप से सर्दियों में व्यायाम को अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम में शरीर सुस्त हो जाता है, इसलिए प्रतिदिन कम से कम 40 मिनट की एक्सरसाइज और शाम को 30 मिनट की सैर जरूरी है। इससे शरीर सक्रिय रहता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

बच्चों के स्वास्थ्य के लिए उन्होंने एक सरल आयुर्वेदिक नुस्खा भी साझा किया। मीठी सौंफ, अजवाइन और मिश्री को पानी में उबालकर तैयार किया गया काढ़ा दिन में 1–2 चम्मच देने से बच्चों की पाचन शक्ति बेहतर रहती है और पेट से संबंधित समस्याएँ कम होती हैं।

अंत में डॉ. इंदु शर्मा ने कहा कि यदि लोग रोजमर्रा की जीवनशैली में इन छोटे-छोटे आयुर्वेदिक उपायों को शामिल करें, तो दवाइयों की आवश्यकता बहुत कम पड़ जाती है और शरीर स्वाभाविक रूप से स्वस्थ बना रहता है।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।