सर्पदंश के भय से मुक्त कराती है नागिनी माता

(दो मास तक चलने हिमाचल वाला प्रदेश का एक मात्र मेला)

ज्वालामुखी: हिमाचल के देवी देवताओं की अपनी अलग कहानी है; यहां हर गांव में अपना एक देवता है; कांगड़ा जिला की देव भूमि, वीर भूमि एवं ऋशि-मुनियों की तपोस्थली पर वर्ष भर मनाए जाने वाले असंख्य मेलों की श्रृंखला में सबसे लम्बे समय अर्थात दो मास तक मनाए जाने वाला प्रदेश का एक मात्र ‘मेला नागनी माता’ है जोकि हर वर्ष श्रावण एवं भाद्रपद मास के प्रत्येक शनिवार को नागनी माता के मन्दिर कोढ़ी-टीका में परम्परागत ढंग एवं हर्शोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोगों की मान्यता है कि मेले में नागनी माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से सांप इत्यादि विशैले कीड़ों के दंश का भय नहीं रहता है।

नागनी माता का प्राचीन एवं ऐतिहासिक मन्दिर नूरपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर मण्डी-पठानकोट राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर गांव भडवार के समीप कोढ़ी-टीका गांव में स्थित है। नागनी माता जोकि मनसा माता का रूप माना जाता है, के नाम पर हर वर्ष श्रावण एवं भाद्रपद मास में मेले लगते हैं। इन दोनों मास के दौरान इस वर्ष पड़ने वाले कुल नौ शनिवार मेले 17 जुलाई से 11 सितम्बर, 2010 तक मनाए जा रहे है और इन मेलों की श्रृंखला में 31 जुलाई, 2010 शनिवार को ज़िला स्तरीय मेले के रूप में मनाया जा रहा है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु कांगड़ा जिला के अलावा पठानकोट क्षेत्र से आकर नागनी माता का आशीर्वाद प्राप्त कर पुण्य कमाते हैं।