ज्वालामुखी: भारतीय सेना के सूत्रों की मानें तो कटोच का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव अगोचर में सांकेतिक ही होगा। चूंकि उनकी पार्थिव देह की हालत ऐसी नहीं कि उसे ज्यादा दिन बाहर रखा जाये। सेना की ओर से अधिकारिक तौर पर एक रस्म निभायी गयी जिसके तहत सिक्ख रेजिमेंट ने देह को डोगरा रेजिमेंट को सौंप दिया। अब देह को हिमाचल लाया जा रहा है। बताते है कि कटोच ने २५ अक्तूबर १९६२ को अपनी टुकडी के साथ चीन सीमा के पास वालोंग पोस्ट पर शहादत पाई थी। यह लडाई २२ दिन चली थी। सेना को उसकी चांदी की अंगूठी पे बुक व एक पेन भी उसकी देह के पास से मिला है। भारत चीन युद्घ के इस हीरो जो लोहित नदी के तट पर पिछले ४८ सालों से चिरनिद्रा में था शायद ही दोबारा उठ पाये |