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सिरमौर के बागथन में पशुपालन विभाग ने प्रजनन केंद्र प्रयोग के तौर पर शुरू किया

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नाहन: हिमाचल प्रदेश में भ्रूण प्रात्यारोपण तकनीक से राज्य में उच्च गुणवत्ता के दुधारू पशुओं की नस्ल तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। फिलहाल इस तकनीक को प्रदेश निर्माता की जन्म स्थली बागथन में स्थित पशुपालन विभाग के प्रजनन केंद्र में प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है, जिसमें विभाग को एक स्वस्थ गाय में भ्रूण प्रत्यारोपित कर एक उच्च गुणवत्ता के बछडे को जन्म देने में सफलता मिली है। विभाग द्वारा पंजाब से लाए गए भ्रूण के माध्यम से 28 दिसंबर को एक बछडे ने जन्म लिया था जिसका नामांकण गौरव के रूप में किया है।

खास बात यह भी है कि इसी तकनीक से प्रजनन केंद्र में एक ओर गाय गर्भवती है जो इस तकनीक से हिमाचल के दूसरे उच्च नस्ल के पशु को जन्म देगी। विभाग ने इस तकनीक के प्रयोग की सफलता के बाद पालमपुर में तीन करोड रूपए की लागत से उच्च तकनीक की प्रयोगशाला स्थापित करने का फैसला भी किया है। सूत्रों की माने तो विभाग विदेश से भ्रूण लाने की कोशिश में भी है ताकि विदेशी नस्ल के पशु भ्रूण प्रत्यारोपण की तकनीक से पैदा किए जा सके। जानकारों के मुताबिक इस तकनीक से जन्मे पशुओं की उच्च गुणवत्ता के कारण दुध बढेगा साथ ही दूध उत्पादकों की तकदीर भी बदलेगी। पशु प्रजनन विशेषज्ञ व सहायक निदेशक पशुपालन विभाग डा. केडी रायत ने बताया कि इस तकनीक का प्रशिक्षण उन्होंने वर्ष 2009 में जर्मनी से लिया था। उन्होंने बताया कि एंब्रियो ट्रांसफर तकनीक से बछडे का जन्म होने से प्रदेश इस तकनीक के प्रयोग में देश के अग्रणी राज्य की फहरिस्त में आ गया है।