नाहन : “देश सेवा सिर्फ वर्दी में नहीं होती, दिल में होना चाहिए जज़्बा…” यह पंक्तियाँ उस समय जीवंत हो उठीं जब हिमाचल प्रदेश के पूर्व सैनिकों ने प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे मंडी जिला के पीड़ितों की मदद के लिए मोर्चा संभाला। सिरमौर के इन जांबाज़ों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे भले ही सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन सेवा का जुनून अब भी जवान है।
आपदा के तुरंत बाद, 7 जुलाई को पांच पूर्व सैनिकों की पहली राहत टीम थुनाग पहुंची। टीम ने वहां टेंट, राशन और अन्य आवश्यक सामग्री जरूरतमंद परिवारों तक पहुँचाई। इस टीम ने आपदा प्रभावित गांवों में जाकर टेंट लगाने से लेकर वितरण तक का काम अपने हाथों से किया।

इसके बाद 10 जुलाई को नौ सदस्यीय दूसरी टीम ने झंझेली क्षेत्र में डेरा जमाया और प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री वितरित की। लगातार बढ़ रही आपदा की गंभीरता को देखते हुए राहत कार्यों को चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया गया।
14 जुलाई से अब तक यह सेवा कार्य बिना रुके जारी है। पूर्व सैनिकों की टीमें गांव-गांव जाकर टेंट लगवाने, राशन देने, जरूरतमंदों की व्यक्तिगत सहायता करने और प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने में जुटी हुई हैं। कहीं मलबे में दबे घर हैं, तो कहीं खुले आसमान के नीचे रातें गुजार रहे लोग, इन पूर्व सैनिकों ने हर परिस्थिति में डटे रहकर अपना फर्ज निभाया।
इस सेवा कार्य को सफल बनाने में सिरमौर जिले के विभिन्न पूर्व सैनिक संगठनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरांह-पच्छाद संगठन ने ₹60,000, धारटीधार संगठन ने ₹27,500 और नाहन व अन्य संगठनों ने ₹31,500 का आर्थिक सहयोग प्रदान किया। इस प्रकार कुल ₹1,19,000 की राहत राशि एकत्रित की गई। इसमें से ₹1,00,000 की राशि को सीधे 10 आपदा पीड़ित परिवारों को वितरित किया गया, जिससे प्रत्येक परिवार को ₹10,000 की सहायता प्राप्त हुई। यह सहयोग केवल आर्थिक नहीं, बल्कि एकजुटता, मानवीयता और सेवा भावना का प्रतीक भी था।
इस राहत अभियान को धरातल पर सफलतापूर्वक संचालित करने में कई सेवानिवृत्त सैनिकों का विशेष योगदान रहा। Rtd. Captain लालचंद, Rtd. Havildar भीम दत्त शर्मा, Rtd. Havildar राम चंद्र और Rtd. Naik सुभाष चंद जैसे पूर्व सैनिक न केवल सामग्री और धन लेकर पहुंचे, बल्कि स्वयं गांव-गांव जाकर टेंट लगवाने, राहत सामग्री बांटने और श्रमदान करने में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे। इन सभी ने दिखाया कि सैनिक भले ही रिटायर हो जाए, लेकिन देश सेवा का जज़्बा कभी सेवानिवृत्त नहीं होता।
पूर्व सैनिक संगठन की ओर से सक्रिय भूमिका निभा रहे Rtd. Naik सुभाष चंद ने हिल्स पोस्ट मीडिया से बातचीत में बताया कि पूर्व सैनिक पहले भी विभिन्न आपदाओं में आर्थिक सहायता भेजते रहे हैं। लेकिन इस बार उन्हें महसूस हुआ कि राहत राशि केवल भेजने भर से नहीं, बल्कि सीधे प्रभावित परिवारों तक पहुंचानी चाहिए, ताकि सही जरूरतमंदों तक मदद पहुंचे। यही सोचकर उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर घर-घर जाकर सहायता राशि वितरित की।
इन पूर्व सैनिकों का कहना है कि “हमने जीवन का बड़ा हिस्सा देश की सेवा में वर्दी पहन कर बिताया है, लेकिन आज जब अपने ही देशवासी संकट में हैं, तो हम कैसे पीछे रह सकते हैं?”
हिमाचल के इन पूर्व सैनिकों ने वर्दी से बाहर निकलने के बाद भी देशभक्ति को सिर्फ शब्दों में नहीं, कर्मों में जीकर दिखाया है।