नाहन : सिरमौर ज़िले के शिलाई क्षेत्र में दो सगे भाइयों की आपसी सहमति से हुई शादी को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस विवाह को लेकर अब सामाजिक संगठनों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। हाल ही में देवभूमि क्षत्रिय संगठन के संस्थापक रूमित सिंह ठाकुर ने इस विवाह को “सनातन परंपरा का अपमान” बताया था। उन्होंने इसे भारतीय परंपराओं और धार्मिक मर्यादाओं के विरुद्ध बताया था।
अब इस बयान पर दलित शोषण मुक्ति मंच ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मंच के राज्य संयोजक आशीष कुमार, सह संयोजक राजेश कोष और मिंटा जिंटा ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि “यह विवाह पूरी तरह संविधान की भावना और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप हुआ है। किसी संगठन द्वारा इसे लेकर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रहार है।”

आशीष कुमार ने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने और अपने विश्वास के अनुसार जीवन जीने की आज़ादी देता है। उन्होंने कहा “किसी संगठन को यह अधिकार नहीं कि वह तय करे कौन-सा जीवन तरीका ‘धर्मसंगत’ है और कौन-सा नहीं।”
मंच ने देवभूमि क्षत्रिय संगठन पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को धर्म और परंपरा के नाम पर उछालकर समाज में नफरत और विभाजन फैलाने की कोशिश कर रहा है। मंच के प्रतिनिधियों ने कहा कि सिरमौर में हुआ यह विवाह सामाजिक परिवर्तन और प्रगतिशील सोच का प्रतीक है।
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि ऐसे संगठनों के भड़काऊ बयानों पर संज्ञान लिया जाए जो समाज को धर्म और जाति के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं।
दलित शोषण मुक्ति मंच ने कहा “संविधान से बड़ा कोई धर्म नहीं, समानता से ऊँची कोई परंपरा नहीं, और स्वतंत्रता से ऊपर कोई सामाजिक दबाव नहीं हो सकता। मंच हर उस आवाज़ के साथ खड़ा है जो लोकतंत्र, समानता और इंसानियत की रक्षा के लिए उठती है।”