नाहन : मानसून के आगमन के साथ ही हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में सांप के काटने (स्नेक बाइट) के मामलों में इज़ाफा होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां तेज़ कर दी हैं। अब जिले की हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) तक एंटी स्नेक वेनम पहुंचा दी गई है, ताकि पीड़ितों को नजदीक ही उपचार मिल सके और गंभीर स्थितियों से बचा जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) सिरमौर डॉ. अमिताभ जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि बरसात के मौसम में सांपों की सक्रियता बढ़ जाती है और हर साल इस दौरान स्नेक बाइट के कई मामले सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि, “अक्सर देखा गया है कि लोग सांप के काटने पर पहले झाड़-फूंक या देसी इलाज में समय गंवा देते हैं, जिसके चलते ज़हर शरीर में फैल जाता है और कई बार लोगों की जान तक चली जाती है।”

इसीलिए इस बार विभाग ने पहले से सतर्कता बरतते हुए जिला सिरमौर की सभी पीएचसी में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है, ताकि किसी भी स्थिति में पीड़ित को तुरन्त इलाज मिल सके।
डॉ. जैन ने जनता से अपील करते हुए कहा कि सांप के काटने पर झाड़-फूंक करने की बजाय तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र का रुख करें। उन्होंने कहा कि यदि 1 से 2 घंटे के भीतर सही इलाज शुरू हो जाए, तो स्नेक बाइट का प्रभाव रोका जा सकता है और जान बचाई जा सकती है।
केवल स्नेक बाइट ही नहीं, बल्कि मानसून के दिनों में डेंगू, मलेरिया, उल्टी-दस्त, टायफॉइड जैसी बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। सीएमओ ने लोगों को सलाह दी कि वे केवल उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं, खाने में गले-सड़े फल या खाद्य पदार्थों से परहेज करें और अपने घर व आस-पास पानी जमा न होने दें, ताकि मच्छरों को पनपने से रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि घरों के आसपास के क्षेत्र साफ रखें, विशेषकर ड्रम, गमलों और टायरों में पानी एकत्र न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बन जाते हैं।