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सुक्खू सरकार ने झूठ बोलने के सारे रिकाॅर्ड तोड़ दिए : बिंदल

शिमला: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ राजीव बिन्दल ने कहा कि सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की सरकार ने झूठ बोलने के सारे रिकाॅर्ड तोड़ दिए हैं। महाराष्ट्र के चुनावों में मुख्यमंत्री महोदय ने जोर-शोर से यह घोषणा की कि हिमाचल प्रदेश की 18 साल से उपर की हर बहन-बेटी को कांग्रेस सरकार ने 1500 रू दे दिए हैं अर्थात हिमाचल प्रदेश की हर बहन को 1500 रू महीना मिल रहा है। मुख्यमंत्री का यह कथन हिमाचल प्रदेश की बहन-बेटियों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है। केवल महाराष्ट्र में राजनीतिक लाभ उठाने के लिए झूठी घोषणा कर देना और हिमाचल प्रदेश में बहन-बेटियों को फूटी कौड़ी न देना, इससे बड़ा अन्याय, शोषण हिमाचल की बहन-बेटियों के साथ कोई नहीं हो सकता।

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डाॅ. बिन्दल ने कहा कि 2022 में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता प्राप्त करने के लिए यह घोषणा की थी, गारंटी दी थी कि कांग्रेस सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में 18 साल से उपर की हर बहन बेटी को 1500 रू महीना मिलना शुरू हो जाएगा। इसी प्रकार की घोषणा दोबारा से 2024 के लोकसभा चुनावों मे की गई। दो साल बीत जाने पर बहनों के हाथ खाली हैं। कांग्रेस पार्टी और सरकार मालामाल है और झूठ, फरेब से वोट लेने का क्रम जारी है। 

डाॅ. बिन्दल ने कहा कि कांग्रेस सरकार हरियाणा में, महाराष्ट्र में गीत गाती हुई घूम रही है कि हमने एक लाख नौकरियां दे दी है जबकि पिछले 2 साल से हिमाचल प्रदेश का बेरोजगार त्रस्त है। एक भी नौकरी नहीं निकली, बच्चे लाईब्रेरियों में बैठकर तैयारियों करते-करते थक गए हैं, बच्चों के पास खर्चा समाप्त हो गया परन्तु सरकार ढींगे हांक कर गुजारा कर रही है। पिछले दो सालों में बेरोजगार व विभिन्न मदों में लगे हुए सरकारी कर्मचारी शिमला में कड़ाके की ठंड में, भारी बरसात में धरने-प्रदर्शन करते-करते टूट चुके हैं। आज भी सैंकड़ो युवक-युवतियां शिमला में धरने-प्रदर्शन पर बैठे हैं परन्तु सरकार के कानो पर जूं तक नहीं रेग रही। 

डाॅ. बिन्दल ने कहा कि कांग्रेस सरकार टैक्स लगाने में मस्त है। डीजल, दालें, खाद्य तेल, बिजली, पानी, स्टाम्प डयूटी, शौचालय और न जाने किन-किन चीजों पर भारी भरकम टैक्स लगा दिए हैं। यह सरकार बात तो आत्मनिर्भरता की करती है और आज ही 500 करोड़ रू का कर्ज ले रही है। यह सरकार पिछले दो वर्षों में 28000 करोड़ रू का कर्ज ले चुकी है लेकिन कोई रोजगार नहीं, कोई नौकरी नहीं, कोई विकास नहीं, कोई राहत नहीं।

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