सोलन: नेशनल युवान सेवा फैलोशिप के तहत नेशनल यूथ प्रोजेक्ट (एनवाईपी) हिमाचल प्रदेश के वालंटियर ने देश के एकमात्र इंटीग्रेटेड मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रिहेबिलिटेशन सेंटर (मानव मंदिर) में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से ग्रस्त लोगों के साथ समय बिताया और उन्हें फूड पैकेट्स भी बांटें। इससे त्यौहारी सीजन में बच्चों के चेहरे पर रौनक लौटी और उन्हें अपनेपन का एहसास हुआ। इस मौके पर एनवाईपी हिमाचल के समन्वयक यशपाल कपूर, मोहित कश्यप, कमलराज चौहान, संजीव अवस्थी, सिरमौर कल्याण मंच के प्रधान प्रदीप मंमगाई समेत अन्य मौजूद रहे।
आईएएमडी के प्रधान संजना गोयल ने कहा कि नेशनल युवान सेवा फैलोशिप के तहत नेशनल यूथ प्रोजेक्ट (एनवाईपी) हिमाचल प्रदेश ने उनके संस्थान को इसके लिए चुना। इस कार्य के लिए एनवाईपी की समस्त टीम बधाई की पात्र हैं। उन्होंने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी है और अभी देश दुनिया में इसका कोई ईलाज नहीं है।

सोलन में इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ने मानव मंदिर का निर्माण किया है, जिसमें देश-विदेश से आने वाले रोगियों को फीजियोथैरेपी और हाइड्रोथैरेपी के माध्यम से राहत देने का पुनीत कार्य किया जा रहा है। इस समय करीब 30 मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से ग्रस्त रोगी, जो हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हैदराबाद, असम समेत देश क अन्य क्षेत्रों के हैं, यहां उपचार ले रहे हैं। संजना गोयल ने कहा कि संस्था आईएएमडी तीन दशकों से अधिक समय से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी देखभाल और अनुसंधान में सबसे आगे रहा है।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के महासचिव विपुल गोयल ने कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के बारे में जागरूकता जरूरी है ताकि इस लाईलाज बीमारी से जूझ रहे हजारों लोगों को भविष्य में उपचार की सुविधा मिल सकें और वह घर से बाहर निकल सकें। इस दुर्लभ बीमारियों के लिए रोगी देखभाल में परिवार और समुदाय के समर्थन की भूमिका पर केंद्रित होंगी। एनवाईपी ने जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से ग्रस्त बच्चों व रोगियों से मिले और अपनेपन का एहसास दिलाया वह काबिलेतारिफ है।