सोलन में जीओ विजन प्रदर्शनी, 65 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म बने आकर्षण का केंद्र

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By Hills Post

सोलन: राजकीय महाविद्यालय सोलन के भूगोल विभाग द्वारा जीओ विजन: अ वे टू सस्टेनेबल एंड रेसिलियंट अर्थ नामक एक भव्य भूगोल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। ‘धरा रक्षति रक्षित:’ के ध्येय वाक्य पर आधारित इस ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी का विधिवत शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. मनीषा कोहली ने किया। इस आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों और आगंतुकों को पृथ्वी के संरक्षण और भौगोलिक विज्ञान की बारीकियों के प्रति जागरूक करना था।

इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण स्पीति घाटी के लंगज़ा गांव, जिसे भारत का जीवाश्म गांव भी कहा जाता है, से लाए गए 65 मिलियन वर्ष पुराने समुद्री जीवों के दुर्लभ जीवाश्म रहे, जिन्होंने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश की समृद्ध कृषि जैव विविधता और राज्य के विशिष्ट जीआई (GI) टैग उत्पादों के स्टालों ने भी आगंतुकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन अनूठे प्रदर्शनों के जरिये विद्यार्थियों ने न केवल अपनी शोध क्षमता का परिचय दिया, बल्कि प्रदेश की गौरवशाली विरासत और भूगर्भीय इतिहास को भी जीवंत कर दिया।

भूगोल विभाग के छात्र-छात्राओं ने अपनी वैज्ञानिक और रचनात्मक सोच का प्रदर्शन करते हुए आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और भौतिक भूगोल के विभिन्न पहलुओं पर आधारित कई कार्यकारी (Functional) मॉडल्स प्रस्तुत किए। इन मॉडल्स के माध्यम से यह समझाने का सराहनीय प्रयास किया गया कि किस प्रकार आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान के समन्वय से पृथ्वी को अधिक सुरक्षित, सतत और लचीला (Resilient) बनाया जा सकता है।

मुख्य अतिथि डॉ. मनीषा कोहली ने विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए प्रत्येक मॉडल का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया और उनके व्यावहारिक ज्ञान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ऐसी प्रदर्शनियां किताबी ज्ञान को धरातल पर उतारने और व्यावहारिक रूप से समझने का बेहतरीन माध्यम हैं।

इस सफल आयोजन के लिए प्राचार्या ने भूगोल विभाग की प्रोफेसर निवेदिता पाठक और डॉ. नेकराम कश्यप के समर्पित प्रयासों की विशेष रूप से सराहना की। प्रदर्शनी में महाविद्यालय के अन्य विभागों के प्राध्यापकों, गैर-शिक्षक कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और भूगोल एवं पर्यावरण से जुड़ी नई जानकारियों को साझा किया।

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