शिमला: भारत सरकार ने जापान अन्तरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) द्वारा वित्त पोषित स्वां नदी परियोजना की परियोजना लागत को पहले से स्वीकृत 160 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 220 करोड़ रुपये किया है। इसकी कार्यन्वयन अवधि को भी मार्च, 2014 से बढ़ाकर मार्च, 2015 तक एक वर्ष का विस्तार दिया गया है। यह परियोजना राज्य वन विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आज यहां यह जानकारी एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वां परियोजना को वनों के पुर्नजीवन, कृषि योग्य भूमि के संरक्षण, कृषि एवं वन उत्पादों को बढ़ाने, भूमि कटाव को कम करने तथा मृदा दबाव को कम करने के साथ-साथ परियोजना क्षेत्र में रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए स्वीकृत किया गया है। यह कार्य ऊना जिले की 96 ग्राम पंचायतोें के जलागम क्षेत्रों में प्रभावी एवं पर्यावरण मित्र उपचार गतिविधियों के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन व प्रदर्शन के मध्यनजर परियोजना लागत को संशोधित कर 220 करोड़ रुपये किया गया है, जिसमें 60 करोड़ रुपये की अभूतपूर्व वृद्धि होने के अतिरिक्त एक वर्ष का समयावधि बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि परियोजना की विभिन्न कार्यान्वयन गतिविधियों के अन्तर्गत 30 हजार परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से इस वर्ष नवम्बर माह तक 1200 परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिल चुके हैं। वनीकरण गतिविधियों के माध्यम से 5500 हेक्टेयर भूमि को बाढ़ से संरक्षित किया गया है, जिससे परियोजना क्षेत्र में जल स्तर में लगातार वृद्वि हो रही है और 66 जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है।
प्रो. धूमल ने कहा कि 71 पंचायतों की सूक्ष्म योजनाएं, जिनमें आजीविका योजना शामिल है, तैयार की गई है, जबकि 25 पंचायतों को आजीविका योजना के अन्तर्गत लाया गया है। पंचायत विकास समितियों का सभी चिन्हित 96 पंचायतांे में गठन किया गया है तथा वनीकरण पर खर्च करने के लिए 44 करोड़ रुपये चिन्हित किए गए हैं और 74 करोड़ रुपये भू-संरक्षण के लिए, 11 करोेड़ रुपये भूमि सुधार तथा 26 करोड़ रुपये आजीविका सृजन गतिविधियों के अतिरिक्त 20 करोड़ रुपये विकास गतिविधियों की अधोसरंचना पर खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में क्षेत्र व बस्तियों के समग्र विकास सुनिश्चित बनाया जाएगा जबकि द्वितीय चरण में सम्पूर्ण परियोजना क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों में और तेज़ी लाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को ‘कैम्पा’ के अन्तर्गत 12 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि प्राप्त करने में सफलता हासिल हुई है जोकि पहले से ही आवंटित 45 करोड़ रुपये के प्रावधान के अतिरिक्त है। योजना के अन्तर्गत राज्य में वन संबंधित गतिविधियों जिनमें पौधरोपण, भू-जांच व संबंद्ध गतिविधियां शामिल हैं, का कार्यान्वयन किया जाएगा। राज्य को वर्ष 2009-10 वित्त वर्ष में 26.68 करोड़, वर्ष 2010-11 में 42.16 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि कैम्पा के अन्तर्गत स्वीकृति के लिए भेजी गई वार्षिक योजना के अन्तर्गत 68 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। मार्च, 2012 तक 126 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि शाहनहर परियोजना के कार्यान्वयन के लिए केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 42 हेक्टेयर वन भूमि के लिए वन स्वीकृति मिल चुकी है।
प्रो. धूमल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभिन्न योजनाओं को निर्धारित समय में पूरा करें, जिससे योजना लागत में कोई वृद्धि न हो और लोगों को लाभ शीघ्र मिलने संभव हो सके। उन्होंने प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा विभिन्न स्तरों पर प्रगति की सही समीक्षा करने पर भी बल दिया। उन्होंने राज्य के और क्षेत्रों के लिए भी इसी तरह की परियोजना तैयार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि इन क्षेत्रों के लोग भी लाभान्वित हो सकें।
प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन, श्री आर.के.गुप्ता ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और परियोजना के तहत विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि परियोजना की प्रगति का निरन्तर अनुश्रवण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव, डा. अरूण शर्मा, वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।