धर्मशाला: हजारों की संख्या में लोगों ने, विशेषकर महिलाओं ने समाज की रूढ़िवादी परम्परा को दरकिनार करके शहीद कर्मचन्द कटोच को आज उनके पैतृक गांव अगोजर के समीप मच्छयाल खड्ड के किनारे अश्रुपूर्ण विदाई दी गई। शहीद का अंतिम संस्कार पूरे सेना सम्मान के साथ किया गया तथा उनके भतीजा, जसवन्त सिंह कटोच द्वारा चिता को मुखाग्नि दी गई।
प्रदेश सरकार की ओर से सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र सिंह रवि तथा सेना की ओर से नॉदर्न कमान के सीओएस लै. जनरल जसवीर सिंह ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इसके अतिरिक्त मेजर जनरल अमरजीत सिंह, जीओसी 39 माउंटेन डिवीज़न, विधायक राजगीर निर्वाचन क्षेत्र कैप्टन आत्मा राम, विधायक पालमपुर निर्वाचन क्षेत्र प्रवीण शर्मा, हिमाचल प्रदेश वूल संघ के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर, सेवानिवृत लै. जनरल एसएस सांगरा, ब्रिगेडियर डीएस नेगी, सुधीर सूद व एमपी सिंह सहित अनेक सेना तथा सिविल अधिकारियों, भूतपूर्व सेना अधिकारियों द्वारा शहीद को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
लै. जनरल जसवीर सिंह ने मीडिया से रू-ब-रु होते हुए जानकारी दी कि शहीद कर्मचन्द कटोच 4-डोगरा रेजिमेंट में बतौर सिपाही सेवारत थे, जो वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरूणाचल प्रदेश के वलोंग नामक स्थान पर मातृभूमि की रक्षा अंतिम सांस तक करते शहीद हुए थे तथा इनका पार्थिव शरीर प्रतिकूल मौसम होने के कारण अरूणाचल की हिमांछादित पहाड़ियों में दब गया था, जिसका फिर कोई पता नहीं चल सका था।
उन्होंने कहा कि एक जुलाई, 2010 को वलोंग के समीप भारी भूस्खलन होने पर बीआरटीएफ के जवानों द्वारा जब सड़क पर से मलवा हटाया जा रहा था, उस समय अचानक शहीद के पहचान स्वरूप सेना की डिस्क तथा चांदी की अंगूठी मिली, जिसकी जांच करने पर 4-डोगरा रेजिमेंट के जवान कर्मचन्द कटोच के रूप में पहचान की गई। इसके उपरान्त इस क्षेत्र में तैनात सिक्ख रेजिमेंट के जबानों द्वारा भूस्खलन का जोखिम उठाते हुए 5 जुलाई, 2010 को शहीद कर्मचन्द के शव को बाहर निकाला गया, जिसका 48 वर्ष उपरान्त उनके पैतृक गांव में पूरे सेना सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
लै. जनरल जसवीर ने कहा कि शहीद कर्मचन्द कटोच एक बहादुर सिपाही थे, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए प्रतिकूल मौसम के वावजूद चीन की सेना के साथ लोहा लेते हुए देश की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर किये थे। शहीद कर्मचन्द की शहादत को कृतज्ञ राष्ट्र कभी नहीं भुला सकेगा।