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हरित ऊर्जा तकनीक का विकास आईआईटी मण्डी का ध्येय

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मंडी: भारतीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी अगले पॉंच वर्षों में सौर, जल विद्युत, भू उष्मीय और जैविक ऊर्जा जैसी हरित ऊर्जा तकनीक विकसित करने के लिए प्रयासरत है। संस्थान प्रस्तावित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में एकीकृत पर्वत विकास, सड़क एवं रेलवे निर्माण, आपदा प्रबन्धन, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, फल एवं सब्जी प्रसंस्करण तथा इलैक्ट्रॉनिक्स एवं इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे विषयों पर ध्यान देगा। यह जानकारी मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के निदेशक प्रो. टिमोथी ए गोंज़ालवेस तथा विशेष कार्य अधिकारी प्रशासन श्री एस सेमुअल के साथ बैठक में दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को व्यवसायिक शिक्षा का विश्व स्तरीय केन्द्र बनाने में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी, राष्ट्रीय फैशन तकनीक संस्थान, ईएसआई मैडिकल कॉलेज और केन्द्रीय विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि मण्डी के समीप कमांद में आईआईटी परिसर की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने केन्द्रीय दल को उपयुक्त भूमि उपलब्ध करवायी, जहां निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आईआईटी की कक्षाएं राजकीय डिग्री कॉलेज मण्डी में लगाई जा रही हैं। इसके लिए शहर में अतिरिक्त स्थान भी उपलब्ध करवाया गया है, ताकि कक्षाएं सुचारू रूप से चल सकें।

प्रो. धूमल ने कहा कि सतत प्रयासों के कारण ही राज्य में व्यवसायिक शिक्षा के उत्कृष्ट केन्द्र स्थापित हो रहे हैं, जहां देश के विभिन्न भागों से छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान में विश्वस्तरीय व्यवसायी तैयार किए जाएंगे और यहां उच्च गुणवत्ता का शैक्षणिक माहौल उपलब्ध है। आईआईटी मण्डी के पूर्ण रूप से शुरु होने पर राज्य में पर्यटन गतिविधियां लाभान्वित होंगी। उन्हांेने कहा कि राज्य सरकार ने भंुतर स्थित हवाई अड्डे पर रात्रि में हवाई जहाज के उतरने की सुविधा प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार से आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी तकनीकी शिक्षा, ज्ञान सृजन और नयी पहल के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। आने वाले दो दशकों में यह संस्थान विश्वस्तरीय अनुसंधान का केन्द्र बनेगा, जहां श्रेष्ठ अध्यापक उपलब्ध होंगे और अनुसंधान एवं विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह संस्थान स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का हल निकालने में सक्षम होगा। संस्थान में छात्रांे के समग्र विकास पर ध्यान दिया जाएगा और उन्हें वास्तविक समस्याओं और विकासात्मक परियोजनाओं की जानकारी दी जाएगी, ताकि छात्र उच्च दक्षतायुक्त व्यवसायी बन संस्थान तथा देश का नाम रोशन कर सकें।

प्रो. धूमल ने संस्थान के निदेशक को विश्वास दिलाया कि आईआईटी मंडी की कार्यप्रणाली को सुचारु बनाने के लिए राज्य सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी। कमांद को जाने वाले सम्पर्क मार्ग को सुधारा जाएगा तथा अन्य समस्याओं का समाधान भी प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।

डॉ. टिमोथी ए गोंज़ालवेस ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि आईआईटी मण्डी देश में स्थापित हो रहे उन 25 अनुसंधान पार्कों में से एक है, जहां विशेष रूप से अनुसंधान एवं विकास का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 तक आईआईटी मण्डी को पूरी तरह से क्रियाशील बना दिया जाएगा, जबकि कार्यशालाएं इत्यादि इसी वर्ष मई से कार्य करना आरंभ कर देंगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि परिसर को तयशुदा समय सीमा में पूरा करने के लिए सहायता प्रदान करें। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा आईआईटी मण्डी को दी जा रही सहायता के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।