नाहन : राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर नाहन के विधायक अजय सोलंकी ने प्रदेश के किसानों, बागवानों और पशुपालकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं एक साधारण परिवार से निकलकर आए जननेता हैं, इसलिए उन्हें किसानों और समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की समस्याओं और जरूरतों की गहरी समझ है।
विधायक सोलंकी ने कहा कि इसी संवेदनशील सोच का परिणाम है कि वर्तमान राज्य सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित नहीं, बल्कि उनका सीधा असर ज़मीन पर दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश को ‘किसान-बागवान समृद्ध राज्य’ बनाने की दिशा में ठोस और ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, किसानों की आय में वास्तविक बढ़ोतरी करना और युवाओं का खेती के प्रति भरोसा फिर से कायम करना है, ताकि गांवों से हो रहे पलायन को रोका जा सके।
विधायक ने बताया कि प्रदेश में पहली बार ‘हिमभोग’ ब्रांड के तहत प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्का और गेहूं की सीधी खरीद शुरू की गई है। इससे किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्ति मिली है और उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य सीधे प्राप्त हो रहा है। नाहन क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक खाद पर भी भारी सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि ‘शिवा प्रोजेक्ट’ के माध्यम से बागवानी विकास को नई दिशा दी जा रही है, जिसका लाभ नाहन के निचले क्षेत्रों के बागवानों को मिल रहा है। वहीं मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं से फसलों की सुरक्षा के लिए सौर बाड़ (सोलर फेंसिंग) पर सब्सिडी दी जा रही है। किसानों की मांग के अनुरूप सिंचाई योजनाओं को भी सशक्त किया जा रहा है, जिससे खेती को बारहमासी और अधिक लाभकारी बनाया जा सके।
अजय सोलंकी ने कहा, “कांग्रेस सरकार का उद्देश्य केवल नारेबाजी नहीं, बल्कि किसानों की आय में वास्तविक और स्थायी वृद्धि करना है। दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी और ‘दूध गंगा’ जैसी योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार किसान, पशुपालक और ग्रामीण वर्ग के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है।”
विधायक ने क्षेत्र के किसानों से आह्वान किया कि वे सरकार की किसान-हितैषी योजनाओं, प्राकृतिक खेती और आधुनिक तकनीकों का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती, बेहतर सिंचाई व्यवस्था और सरकारी सहयोग के समन्वय से ही किसानों की आर्थिक स्थिति को स्थायी मजबूती मिल सकती है।