नाहन: अंतरिक्ष से जुडी घटनाओं का खुलासा कई साल पहले करने वाने वैज्ञानिक डा. जेजे रावल की नजर में हिमाचल अंतरिक्ष विज्ञान में काफी पीछे रह गया है। साथ ही डा. रावल हिमाचल की खूबसूरत झील खजियार से जुडी वैज्ञानिक घटना के तथ्य जुटाने के लिए भी तैयार है। बशर्ते हिमाचल सरकार इस दिशा में कदम बढाए। करीब दो दशक पहले डा. रावल ने इस बात का खुलासा किया था कि महाराष्ट्र की लुनार झील व हिमाचल की खजियार झील अंतरिक्ष से धरती पर उल्का पिंड के टकराने की वजह से निर्मित हुई है। उनकी नजर में यह झील हजारों साल पुरानी है। डा. रावल नाहन से करीब 25 किलोमीटर दूर पच्छाद खंड के कांगो जोहडी में एक शिविर में पहंुचे थे, जहां वैज्ञानिक डा. अरूण कुमार के माध्यम से स्कूली छात्रों को अंतरिक्ष से जुडी जानकारी एक उच्च स्तर के टेलीस्कोप के माध्यम से प्रदान की जा रही है।
इस शिविर से वापस लौटते वक्त डा. रावल ने विशेष संवाद के दौरान बताया कि खजियार झील में उल्का पिंड के अवशेष मौजूद है, जिन्हें 25 से 30 लाख रूपए की राशि खर्च करके ढंूढा जा सकता है जो अंतरिक्ष विज्ञान की जानकारी जुटाने में मददगार हो सकते है। उनका कहना था कि अंतरिक्ष से जुडा भौतिक विज्ञान बेहद रौचक है साथ ही कहा कि हिमाचल जैसे पर्यावरण मुक्त पहाडी राज्य में अंतरिक्ष से जुडी घटनाओं को बेहद स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। डा. रावल ने कहा कि खजियार झी में छिपे रहस्यों से इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि अन्य गृहों पर मानव सभ्यता रही है या नहीं। मौजूदा में इंडियन इंटरनेशनल सेंटर फार रोबोटिक एंड स्पेस साइंस के अध्यक्ष डा. रावल को इस बात का भी गौरव प्राप्त है कि वह नासा से 22 साल पहले अंतरिक्ष की घटनाओं पर सैद्वांतिक मोहर लगा देते है। डा. रावल ने 1978 में इस बात का खुलासा कर दिया था कि अंतरिक्ष में दसवां गृह भीर मौजूद है जैसे नासा ने 22 साल बाद झीना का नाम दिया।
डा. रावल ने कहा कि कुदरत की मेहरबानी से ही धरती बची हुई है अन्यथा उल्का पिंड के टकराने की संभावनाएं बनी रहती है। डा. रावल ने कहा कि कांगो जोहडी में एशिया की पहली रोबोट्रिक स्पेस साइंस प्रयोगशाला स्थापित की जा चुकी है जिसका धीरे-धीरे विस्तार किया जा रहा है। पिछले दो महीनों में सोलन, परमाणु व दिल्ली के छात्र इस प्रयोगशाला में अंतरिक्ष से जुडी रौचक जानकारियां लेने पहंुच चुके है। इंडियन इंटरनेशनल सेंटर फार रोबोटिक एंड स्पेस साइंस के उपाध्यक्ष युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक डा. अरूण कुमार ने बताया कि रोबोट्रिक स्पेस साइंस प्रयोगशाला का नाम लिम्पका बुक आफ रिकार्ड में भी दर्ज हो चुका है।