नई दिल्ली: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार को नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया से भेंट कर हिमाचल प्रदेश के लिए विशेष वित्तीय सहायता की पुरजोर वकालत की। मुख्यमंत्री ने आपदा से हुए भारी नुकसान और पहाड़ी राज्य की भौगोलिक सीमाओं का हवाला देते हुए आयोग के समक्ष प्रदेश के पक्ष को मजबूती से रखा।
मुख्यमंत्री ने आयोग से आग्रह किया कि हिमाचल जैसे राजस्व घाटे वाले पहाड़ी राज्यों के लिए राजस्व घाटा अनुदान (RDG) जारी रखा जाए और इसकी न्यूनतम राशि 10,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष निर्धारित की जाए।

प्राकृतिक आपदाओं से प्रदेश को हुए 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग द्वारा बनाया गया आपदा जोखिम सूचकांक (DRI) हिमालयी राज्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सूचकांक भूस्खलन, बादल फटने और ग्लेशियर से आने वाली बाढ़ जैसी आपदाओं को सही ढंग से शामिल नहीं करता, जिसके कारण हमें आपदा राहत के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं मिले। उन्होंने पहाड़ी राज्यों के लिए एक अलग DRI और एक अलग आपदा राहत कोष बनाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने पहाड़ी राज्यों द्वारा देश को दी जा रही पारिस्थितिकीय सेवाओं के एवज में 50,000 करोड़ रुपये का एक अलग ‘ग्रीन फंड’ बनाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश का 67 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वन भूमि है, जिससे राजस्व के स्रोत सीमित हैं। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के बदले राज्यों को मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने आयोग से करों के बंटवारे के फॉर्मूले में जंगल और पर्यावरण से जुड़े मानकों को अधिक महत्व देने का भी अनुरोध किया।
आयोग सहानुभूतिपूर्वक विचार करे: मुख्यमंत्री
CM ने कहा कि 16वां वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, इसलिए हिमाचल द्वारा उठाई गई मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए ताकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके। उन्होंने आयोग को आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार राम सुभग सिंह भी उपस्थित थे।