हिमाचल कैबिनेट के फैसले, स्वास्थ्य विभाग में 600 नर्सें और 174 पद मेडिकल कॉलेजों में भरेंगे

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By Hills Post

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में रोजगार, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और बुनियादी ढांचे को लेकर कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। कैबिनेट ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए भर्तियों का पिटारा खोल दिया है। सरकार ने राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों में टीचिंग और नॉन-टीचिंग फैकल्टी सहित पैरा-मेडिकल स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर पद भरने को मंजूरी दी है। इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 53 पद और विभिन्न श्रेणियों के 121 पद भरे जाएंगे।

साथ ही, असिस्टेंट स्टाफ नर्सिंग पॉलिसी के तहत राज्य चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से असिस्टेंट स्टाफ नर्स के 600 नए पद सृजित कर भरने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, डीएम (Doctorate of Medicine) और एमसीएच (Master of Chirurgiae) जैसी सुपर स्पेशलिटी योग्यता हासिल करने वाले फैकल्टी डॉक्टरों को बेसिक पे का 20 प्रतिशत इंसेंटिव देने का भी फैसला हुआ है। रोजगार के क्षेत्र में अन्य विभागों में भी अवसर खोले गए हैं, जिनमें जल शक्ति विभाग में जूनियर इंजीनियर (सिविल) व जॉब ट्रेनी के 40 पद और ग्रामीण विकास विभाग में सीधे भर्ती के माध्यम से खंड विकास अधिकारी (BDO) के 10 पद भरना शामिल है।

सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए सरकार ने ‘मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना’ का दायरा और बढ़ा दिया है। अब धर्मशाला के टोंग-लेन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी इस योजना में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, अब वे बच्चे भी इस योजना के पात्र होंगे जिनके माता-पिता में से कोई एक या दोनों 70 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांग हैं। साथ ही, जिन बच्चों के माता-पिता में से एक की मृत्यु हो चुकी है और दूसरे ने बच्चे का परित्याग कर दिया है, उन्हें भी अब सरकार का सहारा मिलेगा।

शिक्षा और शहरी विकास के क्षेत्र में भी बड़े फैसले लिए गए हैं। हिमाचल और चंडीगढ़ की सीमा पर स्थित शीतलपुर में एक विश्व स्तरीय टाउनशिप विकसित की जाएगी। वहीं, बिलासपुर के घुमारवीं में पीपीपी मॉडल पर एक नई यूनिवर्सिटी स्थापित होगी। राज्य के 100 चिन्हित सीबीएसई स्कूलों के लिए भर्ती और मूल्यांकन के विशेष मानदंडों के साथ एक अलग सब-कैडर बनाने को भी मंजूरी दी गई है।

किसानों, बागवानों और चरवाहों के हितों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट ने हिमालयी चरवाहों के लिए एक विशेष परियोजना मंजूर की है, जिसके तहत वन भूमि और घास के मैदान पशुओं के लिए खोले जाएंगे और उनकी आवाजाही के लिए नया कानून लाया जाएगा। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नाहन, नालागढ़, मोहाल और रोहड़ू में नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे और किसानों को दूध का नियमित भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दूध उपक’ (Milk Cess) का अलग खाता खोला जाएगा।

इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश भूमि संरक्षण अधिनियम-1978 में संशोधन कर प्राकृतिक आपदा या बीमारी से सूखे चीड़ के पेड़ों को सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद काटने की अनुमति दे दी गई है। ऊर्जा क्षेत्र में 25 मेगावाट तक की क्षमता वाली उन जल विद्युत परियोजनाओं को राहत दी गई है, जिनके कार्यान्वयन समझौते पहले ही साइन हो चुके हैं।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों में हिमाचल प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का मुख्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने और कांगड़ा के इंदौरा क्षेत्र के मलोट में नशा मुक्ति केंद्र खोलने को मंजूरी दी गई है। रियल एस्टेट बिजनेस में पारदर्शिता लाने के लिए नियमों में संशोधन किया जाएगा। छोटे दुकानदारों को राहत देते हुए एनपीए घोषित 2 लाख रुपये तक के ऋण पर सरकार ने 1 लाख रुपये तक की एकमुश्त निपटान सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही, आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए फ्रेंच विकास एजेंसी के सहयोग से 892 करोड़ रुपये की परियोजना को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।

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