हमीरपुर : पढ़े-लिखे युवाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों के जमीनी स्तर पर अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। उद्योग विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाकर कई युवा उद्यमी बनने के अपने सपनों को साकार कर रहे हैं। ये युवा उद्यमी न केवल स्वयं के लिए रोजगार के साधन सृजित कर रहे हैं, बल्कि कई अन्य लोगों को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहे हैं।
जिला हमीरपुर के उपमंडल भोरंज के गांव बेहड़वीं जट्टां के युवा इंजीनियर आशीष धीमान ने भी यह करके दिखाया है। उद्योग विभाग के माध्यम से 40 लाख रुपये का ऋण एवं 30 प्रतिशत सब्सिडी पाने के बाद आशीष धीमान ने अपने घर के पास ही फ्लाई-ऐश की ईंटों का प्लांट लगाया है और इस प्लांट में रोजाना 5 से 6 हजार तक ईंटें तैयार कर रहे हैं।
![](https://hillspost.com/wp-content/uploads/2025/02/hamirpur.jpg)
पढ़े-लिखे परिवार से संबंध रखने वाले आशीष धीमान ने टैक्सटाइल्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी शुरू की थी। उनके पिता कनिष्ठ अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और भाई नगर निगम चंडीगढ़ में एसडीओ के पद पर तैनात हैं। आशीष की पत्नी भी उपायुक्त कार्यालय मंडी में सेवारत हैं।
घर से दूर कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी के दौरान आशीष ने कई बार अपना स्टार्ट अप उद्यम शुरू करने के सपने देखे, लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे। इसलिए, उनका यह सपना साकार नहीं हो पा रहा था।
अपने पैतृक मकान और कई रिश्तेदारों के मकानों में आ रही सीलन और प्लस्तर खराब होने की समस्या को देखते हुए उनके दिमाग में फ्लाई-ऐश की ईंटों का प्लांट लगाने या इनका कारोबार शुरू करने का आइडिया आया। उन्होंने यह आइडिया जिला उद्योग केंद्र हमीरपुर के अधिकारियों के साथ साझा किया। अधिकारियों ने आशीष का मार्गदर्शन किया और उन्हें अपना प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया।
उद्योग विभाग के माध्यम से 40 लाख रुपये के ऋण और 30 प्रतिशत सब्सिडी की मदद से आशीष का सपना साकार हुआ और उन्होंने फ्लाई-ऐश की ईंटों का प्लांट लगा लिया।
आशीष ने बताया कि उनके प्लांट में रोजाना 5-6 हजार ईंटें बन रही हैं और वह हर महीने 50 से 60 हजार तक ईंटें बेच रहे हैं। उन्हांेने बताया कि लोग इन ईंटों को काफी पसंद कर रहे हैं। क्योंकि, ये काफी हल्की एवं किफायती हैं और इनसे मकान में सीलन नहीं आती है। इन पर प्लस्तर का खर्चा भी कम होता है।
आशीष ने अपने प्लांट में 7-8 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया है। इसके अन्य लोग भी अप्रत्यक्ष रूप से इस प्लांट से रोजगार पा रहे हैं