शिमला: मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने केन्द्रीय रेल मंत्री से आग्रह किया है कि यदि दिल्ली-ऊना और नंगल-ऊना रेलगाड़ियों को 23 दिसम्बर, 2010 से बंद करने का निर्णय लिया गया है तो पुनर्विचार करके इस निर्णय को वापिस लिया जाए। हिमाचल प्रदेश के लिए इन रेलगाड़ियों को उत्तर भारत में पड़ रही धुंध के कारण रेल मंत्रालय द्वारा बंद करने संबंधी मीडिया में प्रकाशित हो रहे समाचारों का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है और प्रदेश के लोगों की इच्छा के विपरीत है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग इन रेलगाड़ियों से लाभान्वित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतन्त्रता के उपरांत हिमाचल प्रदेश को रेल विस्तार के अधिकार से वंचित रखा गया और केवल 33 कि.मी. ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क निर्मित किया गया। उन्होंने कहा कि अपर्याप्त रेल नेटवर्क और सेवा के कारण प्रदेश में परिवहन का सारा भार केवल सड़कों पर है। ऐसी परिस्थितियों में रेल सेवा को बंद करने से यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं मेें और कटौती होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि केन्द्रीय रेल मंत्रालय द्वारा रेलगाड़ियों को बंद करने का निर्णय लिया गया है और इससे केवल हिमाचल प्रदेश के लोगों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि रेलगाड़ियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि लोग गन्तव्य स्थल तक पहुंचने में हो रहे विलम्ब को देखते हुए भी रेलगाड़ियों से यात्रा करने को प्राथमिकता देते हैं। राज्य सरकार नियमित तौर पर प्रदेश में रेल नेटवर्क को बढ़ाने का मामला उठा रही है, ताकि सड़कों पर पड़ रहे दबाव को कम किया जा सके और लोगों को सुविधा मिल सके।
प्रो. धूमल ने कहा कि सर्दियों के मौसम में उत्तर भारत में धुंध नियमित रूप से पड़ती है किन्तु इससे पहले कभी भी रेल सेवाओं को बंद नहीं किया गया। उन्होंने केन्द्रीय रेल मंत्री से आग्रह किया है कि हिमाचल प्रदेश के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर पुनर्विचार किया जाए और यह सुनिश्चित बनाया जाए कि लोगों को सुचारु रेल सेवाएं प्राप्त होती रहें तथा रेल सेवा की विश्वसनीयता बनी रहे।