नाहन : चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री कालाअंब ने हाल ही में राज्य सरकार से उद्योगों को बिजली की दरों पर दी जाने वाली सब्सिडी को बहाल करने की मांग की है। चैंबर ने बिजली की लगातार बढ़ती लागत पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिससे राज्य में उद्योगों का संचालन और विस्तार मुश्किल हो रहा है।
चैंबर के उपाध्यक्ष दीपन गर्ग ने बताया कि हिमाचल प्रदेश एक बिजली उत्पादक राज्य होने के नाते पहले सस्ती बिजली के लिए जाना जाता था, जिसके कारण कई निवेशक यहां आकर्षित हुए थे। हालांकि, पिछले दो वर्षों में सरकार ने बिजली सब्सिडी वापस ले ली है और बिजली शुल्क में वृद्धि की है। इसके अलावा, प्रति यूनिट 10 पैसे दूध उपकर और 2 रुपये 10 पैसे पर्यावरण उपकर जैसे नए शुल्क लगाए गए हैं। इन परिवर्तनों के कारण बिजली की लागत में लगभग 50% की वृद्धि हुई है, जो एचपीएसईबीएल (हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड) के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है।
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गर्ग ने कहा कि बिजली दरों में वृद्धि के कारण उद्योगों को अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है, जिससे राज्य में उद्योगों का संचालन बनाए रखना और विस्तार करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली सभी उद्योगों के लिए एक प्रमुख आवश्यकता है, खासकर इस्पात, कपड़ा और अन्य बिजली गहन उद्योगों में, जहां बिजली की लागत उत्पादन के खर्च का लगभग आधा हिस्सा होती है।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के उद्योग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं और राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इसलिए, उद्योगों पर बढ़ते आर्थिक बोझ को देखते हुए चैंबर ने बिजली शुल्क वृद्धि को तत्काल वापस लेने और दूध व पर्यावरण उपकर हटाने की मांग का समर्थन किया है।
चैंबर ने सरकार से उद्योगों को राहत प्रदान करने और राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।