शिमला : हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी के आह्वान पर, प्रदेश भर के विभिन्न महाविद्यालयों में संजौली महाविद्यालय से निष्कासित 6 छात्रों के अवैध निष्कासन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किए गए। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के राज्य अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि यह प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश सरकार और संजौली महाविद्यालय प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ कैंपस लोकतंत्र और छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए आयोजित किए गए हैं।
ठाकुर ने कहा कि एसएफआई लंबे समय से छात्रों को उनके जनवादी अधिकार देने की मांग करती आई है, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार पिछले 10 वर्षों से छात्रों के अधिकारों को कुचलने का काम कर रही है। उन्होंने 2013 में छात्र संघ चुनावों पर लगे प्रतिबंध को इसका ज्वलंत उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह और जयराम ठाकुर के समय से लेकर वर्तमान सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार तक, छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म करने का सिलसिला जारी है।

संजौली कॉलेज में छात्रों ने हॉस्टल फीस में बेतहाशा वृद्धि, कैंटीन के बढ़े हुए दामों और लिंग संवेदनशील कमेटी के गठन की मांग को लेकर आंदोलन किया था। इस आंदोलन के दौरान कॉलेज प्रशासन और सरकार ने छात्रों के साथ तानाशाही रवैया अपनाते हुए 6 छात्रों को अवैध रूप से निष्कासित कर दिया। इन छात्रों को पिछले 6 महीनों से अपनी पढ़ाई से दूर रहना पड़ रहा है और उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है।
एसएफआई ने हिमाचल प्रदेश सरकार और संजौली कॉलेज प्रशासन से मांग की है कि 6 छात्रों के अवैध निष्कासन को तुरंत वापस लिया जाए, ताकि उन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित न होना पड़े। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि निष्कासन को वापस नहीं लिया गया, तो एसएफआई प्रदेश भर के छात्रों को लामबंद करके सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेगी।