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हिमाचल प्रदेश में मछली उत्पादन को व्यापक बढ़ावा

शिमला: प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राज्य सरकार द्वारा मछली उत्पादन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की है। इस क्षेत्र में भाखड़ा-डोहक, जयश्री और कोसरियां 4 मत्स्य सहकारी समितियां कार्यरत है। क्षेत्र के लगभग सभी मछुआरे इन समितियों के साथ सम्बद्ध हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मछुआरों को फिशिंग बोट, गिलनेट इत्यादि खरीदने के लिए उपदान दिया जा रहा है। मछुआरों को फिशिंग बोट के मूल्य का 33 प्रतिशत उपदान के रूप में दिया जाता है। इसी प्रकार गिलनैट खरीदने के लिए 3 हजार रुपये की उपदान दिया जाता है। वर्ष 2009 में भाखड़ा क्षेत्र के 500 मछुआरों को मछली पालन के लिए उपदान प्रदान किया गया है। केवल भाखड़ा क्षेत्र में ही मछली पालन के लिए 370 मछुआरे पंजीकृत हैं।

उन्होंने कहा कि गोबिन्दसागर जलाशय मछली उत्पादन का सबसे बड़ा स्रोत है, जहां मुख्य रूप से कटला, रोहू, मृगल तथा सिल्वर कार्प इत्यादि मछलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा मछुआरों को जागरुक करने के लिए जागरुकता शिविरों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मछुआरों के लिए माहीगीर समूह दुर्घटना बीमा योजना, मछुआरा जोखिम निधि योजना, जलाशय मछुआरों के लिए अंशदायी बंद सीज़न राहत योजना कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि मछली पालन के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत मछुआरों को अपने तालाब स्थापित करने के लिए 20 प्रतिशत उपदान व प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पुराने तालाबों की मुरम्मत के लिए 15 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जाता है।

प्रवक्ता ने कहा कि प्रथम अप्रैल, 2009 से प्रथम मार्च, 2010 की अवधि में भाखड़ा क्षेत्र में 259 टन मछली का उत्पादन हुआ, जबकि गत वर्ष इस केन्द्र में 194 टन मछली उत्पादन हुआ था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008-09 में 7798 टन मछली का उत्पादन हुआ था। देओली में 120.50 लाख टन मछली बीज का उत्पादन किया गया। उन्होंने कहा कि गोबिन्दसागर जलाशय में इस अवधि में 1737 मछुआरों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया।