शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने भू-राजस्व वसूली के नियमों में संशोधन करते हुए बड़ा बदलाव किया है। हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व (विशेष निर्धारण) नियम, 1986 में संशोधन कर इसे “हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व (विशेष निर्धारण) नियम, 2025” नाम दिया गया है। सोमवार को यह अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही प्रभावी हो गई।
नए प्रावधानों के तहत, अब राज्य में गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाई जाने वाली भूमि पर भू-राजस्व औसत बाजार मूल्य के आधार पर वसूला जाएगा। पहले जहां भू-राजस्व एक तय दर के हिसाब से लिया जाता था, वहीं अब बाजार की वास्तविक कीमतों को आधार बनाकर इसका निर्धारण किया जाएगा।

भू-राजस्व का निर्धारण संबंधित राजस्व अधिकारी करेंगे। इसके लिए वे परियोजना क्षेत्र को ‘निर्धारण वृत्त’ घोषित कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इस वृत्त को खंडों में भी बांट सकते हैं। औसत बाजार मूल्य तय करने के लिए राजस्व अधिकारी राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किसी प्राधिकरण या अभिकरण से परामर्श ले सकेंगे। इसके अलावा, संबंधित विभागाध्यक्ष या निदेशक की भी सहायता ली जाएगी।
औसत बाजार मूल्य निर्धारित करने के लिए दो स्थितियां तय की गई हैं। पहली स्थिति में, यदि भूमि के विक्रय मूल्य के आंकड़े उपलब्ध हैं, तो निर्धारण से ठीक पहले के पांच वर्षों के औसत विक्रय मूल्य (प्रति मरला, बिस्वा, बिस्वांसी या सरसाही) के आधार पर मूल्य तय किया जाएगा। दूसरी स्थिति में, अगर विक्रय मूल्य के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, तो निकटवर्ती क्षेत्र में उसी श्रेणी की भूमि के पिछले पांच वर्षों के औसत विक्रय मूल्य का आधार लिया जाएगा।