शिमला: हिमाचल प्रदेश के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, ऊना बल्क ड्रग पार्क, के निर्माण की सबसे बड़ी बाधा दूर हो गई है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है, जिससे इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह पार्क दवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा, जिसका लक्ष्य दवाइयों के कच्चे माल (API) के लिए चीन जैसे देशों पर भारत की निर्भरता को कम करना है।
इस विशाल परियोजना में 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये के निवेश की क्षमता है और इससे प्रदेश में 15,000 से 20,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस मंजूरी पर खुशी जताते हुए कहा कि ऊना में बल्क ड्रग पार्क भारत में दवा निर्माण के एक अग्रणी केंद्र के रूप में राज्य की स्थिति को और मजबूत करेगा। यह हमारे युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह मंजूरी विकास के अगले चरणों को तेजी से आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह पार्क फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
क्या है बल्क ड्रग पार्क परियोजना?
यह भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसके तहत दवा बनाने के लिए आवश्यक प्रमुख कच्चे माल (Active Pharmaceutical Ingredients – API और Key Starting Materials – KSM) का देश में ही उत्पादन किया जाएगा। इस परियोजना को केंद्र सरकार से 996.45 करोड़ रुपये और राज्य सरकार से 1,074.55 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। इसका कार्यान्वयन ‘हिमाचल प्रदेश बल्क ड्रग पार्क इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ नामक एक विशेष कंपनी (SPV) द्वारा किया जा रहा है।
फेडरेशन ऑफ फार्मा एंटरप्रेन्योर्स और हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन सहित बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ के उद्योगपतियों ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उद्योग जगत का कहना है कि यह हिमाचल प्रदेश के लिए एक नए युग का प्रतीक है, जहां विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा फार्मास्युटिकल क्षेत्र को मजबूत करेगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।