ज्वालामुखी: ज्वालामुखी में पिछले एक साल से जिस रफतार से चन्दन के पेड़ कटते जा रहे हें। उससे अब इसके अस्त्तिव को खतरा पैदा हो गया है। ग्रीन फैलिंग पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर हिमाचल हाईकोर्ट के अपने आदेश हें। लेकिन ज्वालामुखी में सरेआम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हो रही है। व कानून के रखवाले कानून तोडऩे वालों के आगे बेबस दिखायी दे रहे हैं। पुलिस या तो चोरी का मामला बनाती है। या फोरेस्ट एक्ट के तहत । लेकिन कोर्ट की अवमानना के बारे में कुछ नहीं हो पाया है। किसी जमाने में ज्वालामुखी में घने जंगल होते थे। आज जंगलों में पांबदी के बावजूद अवैध कटान बिना रोक टोक जारी है । वनविभाग भी अवैध कटान पर लगाम में कामयाब नहीं हो पा रहा है । आसपास के क्षेत्र के लोग प्रतिदिन पेड़ काटकर लकडिय़ों के गठे इकठ्ठे करके लाते हैं । इसके चलते पहाड़ खाली होते जा रहे हैं तथा इसी के चलते पिछले साल भारी बरसात के कारण हुये भूस्खलन ने स्थानीय लोगों का काफी नुक्सान किया था । इलाके में लोग आज भी चुल्हे का प्रयोग करते हैं तथा लकडिय़ों के लिये जंगल में जाते हैं । इसके चलते जंगल कम होते जा रहे हैं । जंगली जानवर भी शहरों की ओर आने लगे हैं । लोगों के दबाव के चलते जंगलों में अवैध कटान को बढ़ावा मिला है ।
अब चंदन तस्करी विकराल रूप धारण करती जा रही कुछ साल पहले तक नगर में अच्छी खासी तादाद में चन्दन था। लेकिन अब इनका सफाया होता जा रहा है। रात के अंधेरे में तस्करी हो रही है। ज्वालामुखी के ही कुछ युवा चंदन तस्करी के काम में पिछले साल से जुडुे हैं। आज उनके पास कार कोठी का इंतजाम हो गया है। बताया जाता है कि ज्वालामुखी से चंदन की यह लकड़ी उत्तर प्रदेश के कन्नौज भेजी जाती है। कन्नौज में एशिया की सबसे बड़ी सेट की मंडी है। यहां चन्दन दो हजार रूपये किवंटल बिकता है। कांगडा जिला के ज्वालामुखी की कालीधार में मैसूर के बाद यहां ही चन्दन होता है। जिसकी पहचान दस साल पहले हुई थी। हालांकि यह उस किस्म का नहीं है। लेकिन इसकी मांग दिल् ली में धूप अगरबत्ती के बाजार में भी है। यही वजह है कि इन दिनों इस जंगल में तस्करी हो रही है। बड़ी तादाद में पेड़ कट चुके हैं। लेकिन जंगलात महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा है। अब तक तस्करी के आरोप में दो दर्जन लोग पकड़े जा चुके हैं। यह सब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के हैं।