शिमला : हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की भयावह स्थिति एक बार फिर विधानसभा में उजागर हुई। सदन में जानकारी देते हुए राजस्व मंत्री ने बताया कि बीते तीन वर्षों में 31 अक्तूबर 2025 तक विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं ने कुल 4468 लोगों की जान ले ली है। इन घटनाओं में भूस्खलन, सड़क दुर्घटनाएँ, पेड़ों का गिरना, सर्पदंश, करंट लगना, नदियों में बह जाना और मकान गिरना प्रमुख कारण रहे।
प्रदेश में दर्ज मौतों में सबसे अधिक 759 मामले शिमला जिले से सामने आए हैं। इसके बाद कांगड़ा में 643, मंडी में 621 और सिरमौर में 293 मौतें दर्ज की गईं। लगातार बदलते मौसम और पहाड़ी इलाकों की संवेदनशीलता के कारण राज्य का अधिकांश भाग प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में बना हुआ है।

सरकार ने बताया कि इन 4468 मौतों में से 4112 आश्रित परिवारों को राहत राशि प्रदान की जा चुकी है। हालांकि, 356 मामलों में मुआवजा अभी भी लंबित है, जिन्हें पूर्ण दस्तावेज़ उपलब्ध होने पर जारी किया जाएगा।
लंबित मामलों में बिलासपुर जिला 63 मामलों के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद मंडी में 73, शिमला में 58, कुल्लू में 35 और सिरमौर में 29 मामलों में राहत राशि अभी जारी नहीं हो पाई है। मंत्री ने कहा कि ये मामले दस्तावेज़ अधूरे होने या प्रक्रिया संबंधी देरी के कारण अटके हुए हैं।
मुआवज़ा रुकने के पीछे मुख्य कारणों में कई आश्रितों द्वारा आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न न करना भी शामिल है। विशेष रूप से पांवटा साहिब, राजगढ़ और सोलन उपमंडलों में अधिकांश प्रकरणों में दस्तावेज़ अधूरे पाए गए। वहीं बिलासपुर और हमीरपुर जिलों में कई मामलों में RMS पोर्टल के माध्यम से आवेदन ही प्राप्त नहीं हुए, जिसके कारण प्रकरण लंबित बने हुए हैं।
राजस्व मंत्री ने आश्वस्त किया कि सभी लंबित प्रकरणों की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे आवश्यक दस्तावेज़ और औपचारिकताएँ पूरी होंगी, सभी पात्र परिवारों को राहत राशि तुरंत जारी कर दी जाएगी।