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हिमाचल में सामाजिक सेवा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता

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शिमला: मुख्य मंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल की अध्यक्षता में आज यहां हिमाचल प्रदेश राज्य योजना बोर्ड ने वर्ष 2010-11 के लिए 3 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को स्वीकृति प्रदान की गई। यह वर्ष 2009-10 के लिए स्वीकृत 2700 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना से 300 करोड़ रुपये अधिक है। 3000 करोड़ रुपये की इस योजना आकार को भारत योजना आयोग को अंतिम स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इससे पूर्व, मुख्य मंत्री ने 14 और 15 जनवरी को विधायकों के साथ योजना के बारे में गहन विचार-विमर्श किया।
सामाजिक सेवा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है तथा योजना में इस क्षेत्र के लिए 1010.79 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं, जो कुल प्रस्तावित वार्षिक योजना को 33.69 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, शहरीकरण एवं सामाजिक कल्याण शामिल है। मुख्य मंत्री ने कहा कि गत तीन वर्षों की 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में शिक्षा की अधोसंरचना सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई, जिसे अगले दो वर्षों में भी जारी रखा जाएगा ताकि हिमाचल प्रदेश को देश का विश्व स्तरीय शिक्षा केन्द्र बनाया जा सके।
परिवहन एवं संचार सेवाओं के लिए योजना में वर्ष 2010-11 के लिए 588.93 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं, जिसे सरकार ने दूसरी प्राथमिकता दी जाएगी ताकि प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र को जोड़ा जा सके। मुख्य मंत्री ने कहा कि राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में सड़क सम्पर्क सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 1999-2000 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 39,045 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण किया जा सकता है, जिसमें से 30,302 किलोमीटर सड़कों का निर्माण मार्च 2009 तक किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-11 में शेष क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण एवं रख-रखाव प्रदेश सरकार की प्राथमिकता होगी। इस वर्ष 680 किलोमीटर सड़कों एवं 30 पुलों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
वर्ष 2010-11 के लिए प्रस्तावित वार्षिक योजना के अन्तर्गत कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों के लिए 342.84 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए हैं, जो वार्षिक योजना का 11.43 प्रतिशत है। सिचंाई सुविधाओं एवं बाढ़ नियंत्रण के लिए अगले वर्ष वार्षिक योजना में 310 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं, जो वार्षिक योजना का 10.35 प्रतिशत है।
मुख्य मंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि एवं बागवानी को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार इस क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता प्रदान कर रही है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के सामाजिक आर्थिक स्तर में व्यापक सुधार लाया जा सके।
ऊर्जा क्षेत्र के लिए योजना में वर्ष 2010-11 के लिए 354.37 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जोकि प्रदेश की वार्षिक योजना आकार का 11 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की उपलब्ध जल विद्युत क्षमता के तीव्र दोहन के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी सुनिश्चित बनाया जाएगा।
प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गत दो वर्षों में आम आदमी, गरीबी एवं बेरोजगार युवाओं के लिए अनेक कार्यक्रम आरम्भ किए हैं। इनमें ‘पं. दीनदयाल किसान बागवान समृद्धि योजना’, ‘दूध गंगा योजना’ तथा लघु एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं का सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाना, उद्योग स्थापित करना है ताकि रोजगार एवं आय के अधिक अवसर सृजित किए जा सकें । इसके अतिरिक्त आवासहीन गरीब लोगों के लिए आवास निर्माण के लिए अनुदान तथा वृद्धों, विधवाओं, परित्यक्त महिलाओं एवं शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि तथा नये पात्र व्यक्तियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन उपलब्ध करवाना शामिल है।
मुख्य मंत्री ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के अन्तर्गत 13,778 करोड़ रुपये के योजना आकार को निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अन्तर्गत वर्ष 2007-08, वर्ष 2008-09 के लिए दो वार्षिक योजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया तथा इा वर्ष वार्षिक योजना 2009-10 को पूर्ण रूप से कार्यान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वैश्विक मंदी के बावजूद भी वार्षिक आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008-09 के दौरान राज्य में 6.7 प्रतिशत राष्ट्रीय वृद्धि के मुकाबले 7.7 प्रतिशत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-11 के लिए प्रदेश सरकार 7 प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि दर्ज करने के लिए प्रयासरत रहेगी।
प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने दक्षता उन्नयन पर विशेष बल दे रही है, जिसके लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में नए ट्रेड आरम्भ किए गए हैं ताकि राज्य में ही प्रशिक्षित श्रमशक्ति उपलब्ध हो सकें और प्रदेश में आ रहे उद्योगों की मांग के अनुरूप इस श्रमशक्ति को उपलब्ध करवाया जा सके।
मुख्य मंत्री ने सदस्यों से संसाधनों को सृजित करने के लिए अपने बहुमूल्य सुझाव देने का आग्रह किया।
इससे पूर्व, मुख्य सचिव श्रीमती आशा स्वरूप ने कहा कि सभी सचिव सभी विभागीय योजनाओं की त्रिमाही समीक्षा करेंगे ताकि धन राशि का समय पर उपयोग सुनिश्चित बनाया जा सके और विकास की गति को और तेज किया जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी विभागो की निविदाएं प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं ताकि विकास कार्य किसी भी कारण से प्रभावित न हो सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत क्षेत्र स्तर पर कार्य कर रहे अधिकारियों को और अधिक शक्तियां प्रदान करने पर
भी विचार कर रही है ताकि जमीनी स्तर पर विकास की गति को तेज किया जा सके।
मंत्रिमण्डल के सदस्य सर्वश्री गुलाब सिंह ठाकुर, ईश्वर दास धीमान, जे.पी. नड्डा, रविन्द्र सिंह रवि, किश्न कपूर, राजीव बिंदल, श्रीमती सरवीन चैधरी, नरेन्द्र बरागटा, जय राम ठाकुर तथा महेन्द्र सिंह, विधायक सर्वश्री दिले राम, श्रीमती उर्मिल ठाकुर, श्रीमती विनोद कुमारी, रणधीर शर्मा, बी.के. चैहान तथा अन्य गैर सरकारी सदस्यों के अलावा प्रधान सचिव, सचिव विश्वविद्यालयों के कुलपति, विभागाध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
सदस्यों ने नवीकरण पवन एवं सौर ऊर्जा के विकास, योजना धनराशि के समय पर उपयोग, दक्षता उन्ययन, उपरोक्त कार्यक्रमों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी तथा योजना आकार को बढ़ाने के साथ अनुसूचित घटक योजना के अन्तर्गत नये दिशा निर्देश तैयार करने, जल प्रबन्धन के लिए प्रमुखता इत्यादि के लिए अतिरिक्त संसाधन विकसित करने को लेकर सुझाव दिए।