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हिमाचल में सिसक रहे ऐतिहासिक भवन

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नाहन: पर्यटन विकास से अछूते हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर मुख्यालय में करीब एक दर्जन हेरिटेज भवन सरकारी विभागों के कब्जे में होने से सिसकियां भर रहे हैं विडंबना है कि इससे हेरिटेज भवनों की ऐतिहासिकता समाप्त हो रही है। जहां ये भवन शहर को हेरिटेज टाउन घोषित करवाने की क्षमता रखते है, वहीं अनमोल धरोहरों में दशकों से सरकारी कार्यालय चल रहे है। हैरानी इस बात की है कि इन ऐतिहासिक धरोहरों को सरकारी विभागों के कब्जे से छुडवा कर इनका इस्तेमाल पर्यटन के नजरिए से करने की कोशिश नहीं हुई है। इनमें न ही अफसरशाही ने कोई दिलचस्पी दिखाई न ही राजनेताओं ने कोई रूचि । इन भवनों में कुछ इमारतें ऐसी जगहों पर स्थित है जहां पर म्यूजियम या फिर पर्यटन निगम के होटल स्थापित किए जा सकते है। हेरिटेज भवनों की फेहरिस्त यूं तो लंबी हो सकती है, मगर महत्वपूर्ण भवनों में उपायुक्त कार्यालय, वन अरण्यपाल, उपायुक्त आवास, लाल कोटी व शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला इत्यादि शामिल है। गौर हो कि सुरेंद्रा क्लब व लिटन मेमोरियल भी हेरिटेज भवनों की श्रेणी में आते है। जहां एक तरफ सुरेंद्रा क्लब में अधिकारियों व उद्योगपतियों का मनोरंजन केंद्र बना हुआ है। सरकार द्वारा इन धरोहरों का संरक्षण करना तो दूर की बात है साथ ही इन अमूल्य धरोहरों को सरकारी कब्जों से छुडा पर्यटन के नजरिए से इन्हें विकसित करने की कवायद भी अभी तक किसी भी सरकार द्वारा नहीं की गई है।

सरकार चाहे तो देश के प्रमुख शहरों को मात्र दो से तीन घंटों में तय करने वाले नाहन शहर को हेरिटेज पर्यटन के नजरिए से विकसित कर इन हेरिटेज भवनों को पर्यटन निगम को सौंपकर इनकी गरीमा और सही रूप से दोहन कर एक मोटा मुनाफा भी अर्जित कर सकती है। उधर शहर में विद्यमान रानीताल व रानीताल का शिव मंदिर, काली स्थान मंदिर, जगन्नाथ मंदिर व लक्ष्मी नारायण मंदिर प्राचीन ऐतिहासिक कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। नाहन के मस्तक पर तिलक की भांति चमकता लिटन मेमोरियल, जिसमें अब रंग भी उतरने लगा है। रात को लाइट भी न होने के कारण उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। शहर के आसपास भी कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिसमें शिवपुरी धाम, छतरी व शांति संगम की प्राचीन मूर्तियां, जिनके मात्र अवशेष बचे है। यदि सरकार इन ऐतिहासिक धरोहरों को विकसित कर पर्यटन के नजरिए से अपना ध्यान आकर्षित करे तो इससे शहर व सरकार की अर्थ व्यवस्था अधिक मजबूत बन सकती है व रोजगार के साधन खुल सकते है।