हिमाचल सरकार के लिए लडने वाले ज्ञानचंद को सरकारी तंत्र से ही खतरा

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बेशकीमती जमीन सरकार को दिलाने के चक्कर में दो जून रोटी के लाले पडे

ज्वालामुखी: राजस्व विभाग के मिलीभगत से सरकारी जमीन को फर्जी वारिसों को देने के मामले पर हुई खोजबीन से एक बड़े जमीन घोटाले का पर्दाफाश हुआ है । जान जोखिम में डालकर बेशकीमती जमीन सरकार को दिलाने के चक्कर में खुद ज्ञानचन्द को इन दिनों दो – जून रोटी के लाले पड़ गए हैं ।

हालांकि इस काम के लिए इसे प्रोत्साहित कर इनाम से नवाजा जाना चाहिए था लेकिन उल्टे सरकार ने इसका रोजगार छीन लिया है । नजदीकी गांव देहरियां के बाशिदें कानों के बहरे ज्ञान चन्द एक जमीन के टुकड़े को सरकार को दिलाने के लिए विभिन्न दफतरों के चक्कर काट बाकि धन खर्च कर देते थे । यह सिलसिला पिछले सालों से चला हुआ है । इस चक्कर में ज्ञान चन्द की जान जोखिम में पड़ गई है दूसरी ओर इस जमीन घोटालों को दबाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं ।

देहरियां के ज्ञान चन्द के प्रयासों से एक जमीनी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, गौरतलब है कि इसी गांव भेड़ी की फूलंा देवी ने मंगत राम की फर्जी पत्नी बनकर करीब 250 कनाल जमीन को हड़प लिया । यही नहीं इस जमीन पर लगे लाखें रूपये के बहुमून्य खैर के पेड़ों का आपसी मिलिभगत से कटान हुआ । वन विभाग की मिलीभगत से जहां ठेकेदारों ने चांदी कूटी वहीं सारा भुगतान फर्जी लोग ही ले उड़े ।

इस बाबत ज्ञान चन्द ने हालांकि प्रदेश के लोकायुक्त को शपथ पत्र के माध्यम से शिकायत भी दर्ज कराई । लेकिन नतीजा कुछ भी हासिल नहीं हुआ । की गई खोजबीन व राजस्व रिकार्ड एवं दूसरे दस्तावेज बताते हैं कि इसी गांव भेड़ी का मंगत राम निसंतान था क्योंकि उसने विवाह नहीं किया था । ग्रामीणों ने मंगत राम को 1974 के बाद कभी नहीं देखा , जाहिर है मंगत राम इसी साल से लापता है पाईसा पंचायत के रिकार्ड में भी उसकी मौत का कोई जिक्र नहीं है ।

लेकिन ताज्जुब की बात है कि अचानक 19 सालों बाद 1993 में गांव की ही एक महिला ने अपने आपको मंगत राम की विधवा बताया । इस महिला के दावे को राजस्व अधिकारियों ने सही माना व सारी जमीन उसके नाम कर दी । यही नहीं इस साल वन विभाग के माध्यम से इस जमीन से खैर के तरकीबन 200 पेड़ काट गए व बैठे बिठाए फूलां देवी लखपति बन गई । व सरकार को लाखों का चूना लगा ।

ताज्जुब की बात है कि कुछ साल पहले प्रदेश जब में जमीनों का बन्दोबस्त हुआ ,व मंगत राम की गैर मौजूदगी में कुछ जमीन मुजारा एक्ट के तहत मुजारों को चली गई । वहीं 1989 में भी जब इन खैरों के पेड़ों को काटने की बात की गई तो गांव से कोई आगे नहीं आया व न तो किसी को मंगत राम के वारिस होने का हक जताया न ही तमाम प्रक्रिया का कोई एतराज, कानूनन खैर के वृक्षों को काटने के लिए मालिक को हाल्फिया ब्यान देना होता है लेकिन इस प्रक्रिया को कोई भी जब पूरी न कर पाया , तो यह ,खैर के पेड़ नहीं काटे गए । लेकिन अचानक जब यह पेड़ कटने लगे तो गांव वासियों ने विरोध जताया ।

लेकिन उस समय गांव की एक औरत ने दस्तावेजी सबूतो के आधार पर अपने आपको मंगत राम की विधवा बताया व लाखों का मुआवजा हासिल कर लिया । लेकिन देहरियां के बड़े बुजुर्ग आज भी नहीं जानते कि मंगत राम का विवाह कब हुआ । वहीं फूलां देवी भी पक्के तौर पर नहीं बता पाई कि मंगत राम ने कब उससे विवाह किया था, खुद ज्ञान चन्द बताते हैं कि कभी विवाह नहीं किया था, व बाद में वह लापता हो गया । वहीं दस्तावेज बताते हैं कि फूलां देवी तेग राम गांव भेड़ी की पत्नी है , लेकिन फूलां देवी अपने आपको मंगत राम की विधवा बताती है ।

राजस्व अधिकारियों के मिलीभगत से सारा ताना- बाना बुना गया फर्जी औरत सारी संम्पति हड़प गई व रातों-रात लखपति बन गई । ज्ञान चन्द को इसका भारी खमियाजा भुगतना पड़ा व उसकी खड़ी फसल फूलां देवी के बेटों ने तबाह कर दी । इसकी शिकायत उन्होंने देहरा पुलिस से की तो वहां तैनात सब इंस्पेक्टर ने इसके बदले शराब व बकरे के मांस की मांग की ज्ञान चन्द ने जब यह सब देने में असमर्थता जताई, तो थाने रपट लिखवाने की मनाही की गई । जब इसकी शिकायत एसडीएम देहरा व कांगड़ा के जिलाधीश से की गई तो वहां से भी कोई जबाब नहीं मिला । दफतरों के चक्कर काटते-काटते जहां उसकी जमा पूंजी सफाचट हो गई । वहीं उल्टे पुलिस वालों ने डराना धमकाना शुरू कर दिया । फिलहाल प्रदेश के लोकायुक्त ने जिलाधीश को आदेश दे दिया है कि खसरा न. 167, 169 में फूलां देवी के नाम किए गए इन्तकाल को तुरन्त रद्द कर सारी जमीन को सरकारी कब्जे में ले लिया जाए ।

लेकिन लोकायुक्त के आदेशों को अमलीजामा पहनाने से पहले ही अधिकारियों की मिलीभगत से उसी जमीन पर इन दिनों निर्माण कार्य चल रहा है । जो हिमाचल भू – राजस्व अधिनियम की धारा 163 के अधीन अवैध है । व कानूनन इस निर्माण को गिराने का अधिकार तहसीलदार के पास है । दोषियों को सजा दिलाने के चक्कर में ज्ञान चन्द अपनी रोजी – रोटी भी गंवा बैठा है । जिससे उसे दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं ।

हांलाकि सारे मामले की तहकीकात कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी थी वहीं खैर कटान मुआवजा हेराफेरी से वसूलने पर संबधिंत लोगों के खिलाफ मामला बनता था । वहीं सारी जमीन सरकारी कब्जे में जानी थी । लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से सारे मामले को दबाने के प्रयास हो रहे हैं । वहीं सरकार द्घारा हाल ही में घोषित एक नीति के तहत ज्ञान चन्द ईनाम की बड़ी रकम का हकदार था व यह इनाम रकम उसे मिलनी थी । लेकिन अब उसे मौत का फतिवा हासिल हो गया है । जमीन घोटाले के कथित अभियुक्तों ने ज्ञानचन्द को जान से मार देने की धमकी भी दी है । कानों से बहरे इस ग्रमीण पर एक बार हमला भी हो चुका है । दहशत के मारे ज्ञान चन्द को सूर्यास्त से पहले ही घर पहुंचना पड़ता है । पता नहीं कब तक यह क्रम चलता रहेगा ।