हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से आज नई दिल्ली में बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम लिमिटेड (एचपीएमसी) ने प्रदेश के कृषि एवं बागवानी उत्पादों को सीधा बाजार संपर्क उपलब्ध करवाने के लिए फयूचर समूह के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। फ्यूचर आइडिया कंपनी लिमिटेड, जो एक मुख्य व्यापारिक घराना है, ने फयूचर समूह का प्रतिनिधित्व किया। समूह बिग बाजार स्टोर के माध्यम से हिमाचल के उत्पादों को सीधा बाजार संपर्क उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में लोगों के लिए सतत् आजीविका सृजित करने की संभावनाएं तलाशेगा। किसान एवं महिला सशक्तिकरण इसके मुख्य उद्देश्य होंगे। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने इस अवसर पर प्रदेश सरकार तथा फ्यूचर समूह द्वारा दिल्ली में आयोजित हिमाचल यात्रा का शुभारंभ भी किया।
एचपीएमसी के प्रबंध निदेशक श्री मदन चौहान ने राज्य सरकार की ओर से तथा फयूचर समूह के संस्थापक श्री किशोर बियानी ने समूह की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। एचपीएमसी प्रदेश में ताजे फलों की विपणन एजंेसी होने के साथ-साथ राज्य के सभी प्रकार के सरप्लस फलों के विधायन का कार्य करती है। एजेंसी का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पाद समूह एवं अन्य उत्पादों को जोड़ना है, ताकि सचलता, बाजार संपर्क, औपचारिक बैंकिंग प्रणाली के साथ-साथ सूक्ष्म वित्त उपलब्ध हो सके।
आपूर्ति श्रंृखला एवं प्रापण का कार्य फयूचर समूह या फिर एजेंटों से माध्यम से किया जाएगा। गुणवत्ता मानक आपसी विचार-विमर्श से तय किए जाएंगे। विकेंद्रीकृत उत्पादन कार्य के लिए एचपीएमसी द्वारा धनराशि का प्रबंध किसान समूह, स्वयं सहायता समूह, उत्पादक समूह, सेवा प्रदाता समूह और अन्य वर्तमान योजनाओं के नाम पर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल के कृषि एवं बागवानी उत्पादों को सीधा बाजार संपर्क उपलब्ध करवाने के प्रयासों से राज्य के किसान लाभान्वित होंगे, क्योंकि इस प्रयास से देश भर के 73 नगरों एवं शहरों तथा 65 ग्रामीण स्थानों पर बिग बाजार स्टोर में हिमाचली उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतियोगिता के लिए प्रोत्साहित कर रही है। वर्तमान में इन पर चीन का अधिपत्य है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में जैविक उत्पादों की लोकप्रियता के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। राज्य में वर्तमान में 25 हजार किसान जैविक खेती के लिए पंजीकृत हैं तथा अनाज, दालें, सब्जियां, मसाले और चाय इत्यादि की खेती के लिए 12,500 हैक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के अधीन लाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध हो सकता है।
प्रो. धूमल ने कहा कि ‘ब्रांॅड हिमाचल’ के अन्तर्गत राज्य में उगाए जाने वाले सेब, आलू, लहसुन, अदरक, सब्जियां और फलों को प्रोत्याहित किया जाएगा। उन्होंने आशा जताई कि इस प्रयास से राज्य के किसानों को विपणन के संबंध में पेश आ रही समस्याएं दूर होंगी। उन्होंने फयूचर ग्रुप से आग्रह किया कि वे राज्य के किसानों के साथ विचार-विमर्श कर उन्हें नयी तकनीक की जानकारी दें ताकि उपज बढ़ सके और समूह के आऊटलैट की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। इसके अतिरिक्त, समूह किसानों को दक्षता उन्नयन एजेंसियों द्वारा प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाए। इस प्रकार राज्य में अगले तीन से पांच वर्षों में समूह के विभिन्न माध्यमों से किसानों के लिए रोजगार के 25,000 अवसर सृजित होंगे।
प्रो. धूमल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बागवानी एवं कृषि उत्पादों के अतिरिक्त राज्य के हथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों के लिए प्रत्यक्ष बाजार उपलब्ध करवाने की संभावनाएं भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि किन्नौरी शॉल, कुल्लू शॉल, ऊनी कपड़ा, कमीज़ का कपड़ा, ऊन के स्टॉल तथा महिलाओं के लिए वस्त्र सामग्री उत्पाद तैयार कर रही हैं। हस्तशिल्प क्षेत्र में चम्बा रूमाल, इण्डो हिमालयन कारपेट, हिमाचली गुड़िया, स्वैटर, जुराब, दस्ताने, हिमाचली टोपी और चमड़े के उत्पादों की व्यापक मांग है।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि प्रदेश सरकार तथा फ्यूचर ग्रुप के संयुक्त प्रयासों से हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए सतत् जीवनोपार्जन के अवसर सृजित करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। इसके लिए किसानों तथा महिला सशक्तिकरण पर विशेष बल दिया जाएगा तथा हिमाचली ब्रॉण्ड उत्पादों को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य मंे फल उत्पादकों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए प्रभावी पग उठाए गए हैं। 85 करोड़ रुपये की ‘सेब पुनर्राेपण’ योजना को गत वर्ष राज्य में आरंभ किया गया, जिसके तहत पुराने तथा कम उत्पादन वाली सेब की किस्मों को बदला गया। उन्होंने कहा कि हिमाचली सेब ‘ब्रॉंडिड एप्पल’ की तरह प्रचारित किए जाने वाले उत्पादों में से एक है। राज्य के फल उत्पादन में सेब प्रमुख है,
जो प्रदेश के कुल फल उत्पादन में लगभग 81 प्रतिशत योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1960-61 में सेब का उत्पादन 12 हजार मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2010-11 में बढ़कर रिकार्ड 8.92 लाख मीट्रिक टन हो गया है। राज्य का सेब उद्योग प्रदेश की आर्थिकी में 2800 करोड़ रुपये का वार्षिक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जिससे राज्य के किसानों का आर्थिक स्तर भी बढ़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आर्थिकी में कृषि के महत्व को देखते हुए प्रदेश के कुल बजट का 12 प्रतिशत कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों पर व्यय किया जा रहा है, जो देश भर में सर्वाधिक है। राज्य में कृषि तथा बागवानी के विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अपनायी गई विकासात्मक पद्धति के परिणामस्वरूप राज्य को प्रतिष्ठित पत्रिका ‘ऐग्रीकल्चर टुडे’ द्वारा कृषि क्षेत्र में किए गए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर गत वर्ष ‘स्टेट ऐग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड’ प्रदान किया गया।
उन्होंने कहा कि स्वरोजगार संभावनाएं सृजित करने और कृषि विविधिकरण के उद्देश्य से 353 करोड़ रुपये की पंडित दीनदयाल किसान-बागवान समृद्धि योजना कार्यान्वित की जा रही है। 321 करोड़ रुपये की जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) के सहयोग से एक अन्य महत्वाकांक्षी हिमाचल प्रदेश कृषि विविधिकरण परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। यह योजना राज्य में गुणात्मक एवं अधिक मात्रा में कृषि उत्पादन को बढ़ाने में कारगर साबित होगी, जिससे प्रदेश के किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी।
बागवानी मंत्री श्री नरेन्द्र बरागटा, हमीरपुर से लोकसभा सांसद श्री अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश सरकार के कृषि सचिव श्री रामसुभग सिंह, आवासीय आयुक्त श्री बी.के. अग्रवाल और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।