शिमला: हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम अपने होटलों के माध्यम से जैविक भोजन व अन्य जैविक उत्पाद उपलब्ध कराएगा। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने यह जानकारी आज यहां इंदिरा गांधी खेल परिसर में तीन दिवसीय जैविक मेले एवं फूड फेस्टिवल का शुभारंभ करने के उपरांत अपने संबोधन में दी। इस मेले एवं उत्सव का आयोजन कृषि विभाग, राज्य पर्यटन विकास निगम, इंटरनेशनल कंपीटैंस फॉर ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर एण्ड एग्रीकल्चर फाइनेंशियल कारपोरेशन लिमिटेड ने संयुक्त रूप से किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग अपने खान-पान की आदतों में बदलाव ला रहे हैं और उनका रुझान जैविक खाद्य पदार्थों की तरफ मुड़ रहे हैं। आतिथ्य उद्योग के लिए यह सही अवसर है कि वह बाजार की मांग के अनुरूप जैविक खाद्य पदार्थों की ओर मुड़े। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम अपने होटलों के माध्यम से जैविक खाद्य पदार्थों को परोसने में पहल करेगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं और इनके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं हैं तथा शरीर की कई मामूली बीमारियों के उपचार में भी ये लाभदायक हैं। रासायनिक खादों के इस्तेमाल से पूर्व लोग जैविक उत्पादों का ही उपयोग करते थे, जिससे वे शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ एवं मजबूत रहते थे। अब समय आ गया है कि हम जैविक खेती की पुरानी परंपरा की तरफ मुड़ें क्योंकि बाजार में जैविक उत्पादों की बहुत मांग है।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य सरकार जैविक खेती को विशेष प्राथमिकता प्रदान कर रही है और किसानों को पारंपरिक जैविक कृषि पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होगा तथा घर-द्वार पर रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने व्यावसायिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए तीन महत्वाकांक्षी योजनाएं आरंभ की हैं, ताकि किसानों की आर्थिकी मजबूत होने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षित युवाओं को स्वरोजगार के अवसर भी मिलें। उन्होंने कहा कि 353 करोड़ रुपये की पंडित दीनदयाल किसान बागवान समृद्धि योजना को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और कई राज्य इसका अनुसरण करने के लिए आगे आए हैं। योजना के तहत लाभार्थियों को पॉलीहाउस निर्माण, लघु टपक व स्प्रिंक्लर सिंचाई योजनाओं के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। जबकि बांस के पॉलीहाउस बनाने पर वीपीएल परिवारांे को 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। यह देश में अपने आप में एक अनूठी योजना है। उन्होंने कहा कि वैश्विक उष्मीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण विज्ञानियों में भी पॉलीहाउस निर्माण का समर्थन किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 300 करोड़ रुपये की दूध गंगा परियोजना भी प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है ताकि पशुपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिकी में सुधार लाया जा सके। योजना के तहत स्वयं-सहायता समूहों को बैंकों के माध्यम से उदार वित्तीय ऋण सुविधा उपलब्ध करवायी जा रही है, जिससे वे अच्छी नस्ल के दुधारु पशु खरीद सकें। उन्होंने कहा कि इस योजना से प्रदेश में श्वेत क्रांति आएगी। इसके अतिरिक्त जापान अंतरराष्ट्रीय सहकारिता एजेंसी के माध्यम से 440 करोड़ रुपये की एक अन्य योजना भी विचाराधीन है, जिसके तहत किसानों को जैविक खादों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन तीनों योजनाओं के अंतर्गत 1093 करोड़ रुपये व्यय होंगे, जिससे कृषि क्षेत्र सुदृढ़ होगा। राज्य सरकार प्रत्येक किसान के खेत की मिट्टी की जांच कर उन्हें मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बना रही है जिसके अंतर्गत उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार फसल उगाने की आवश्यक जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञानियों को अपने शोध गांव तक ले जाने की आवश्यकता है, ताकि किसान व्यवहारिक तौर पर इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि किसानों को वापिस जैविक खेती की तरफ मुड़ने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
प्रो. धूमल ने प्रदर्शनी स्टॉल का अवलोकन किया तथा चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तिका का विमोचन भी किया।
कृषि सचिव श्री रामसुभग सिंह ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और प्रदेश में जैविक खेती को प्रोत्साहन के लिए चलाई जा रही गतिविधियों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैविक खेती की अपार क्षमता है जिसका किसानों के हित में दोहन सुनिश्चित बनाया जा रहा है।
नेशनल सेंटर फॉर आर्गेनिक फारर्मिंग के निदेशक श्री ऐ.के यादव जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने किसानों द्वारा स्व-प्रमाणीकरण के ज़रिए जैविक प्रमाणीकरण केन्द्रों की आवश्यकता पर भी बल दिया। श्री यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से देश में जैविक खेती के तहत क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास कर रही है।
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने प्रदेश के कृषि इतिहास में इसे ऐतिहासिक दिन करार देते हुए कहा कि इस तरह के मेले व उत्सव का आयोजन पहली बार किया गया है। उन्होंने जैविक कृषि के लिए उपलब्ध क्षमता और विश्वविद्यालय के विज्ञानियों के पास उपलब्ध तकनीकी ज्ञान पर भी प्रकाश डाला।
कृषि विभाग के निदेशक डॉ. जे.सी. राणा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए कहा कि प्रदेश में इस तरह की गतिविधियां नियमित तौर पर आयोजित की जाएंगी।
मुख्य संसदीय सचिव श्री सुखराम चौधरी, विधायक श्री सुरेश भारद्वाज, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती सरोजनी गंजू ठाकुर, पर्यटन विकास निगम के महाप्रबन्धक श्री सुभाशीष पांडा और केन्द्र व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तथा प्रदेश व बाहरी राज्यों के किसान भी इस अवसर पर उपस्थित थे।