ज्वालामुखी: हेरिटेज विलेज परागपुर एक बार फिर प्रदेश स्तरीय लोहडी उत्सव मनाने के लिये तैयार है। लेकिन परागपुर के लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। ज्वालामुखी से सटे इस छोटे से गांव परागपुर को कुछ साल पहले विरासत गांव का गौरव हासिल हुआ था । उस समय प्रदेश की राज्यपाल वी. एस. रमादेवी ने यहां एक प्रभावपूर्ण समारोह में इस गांव को यह सम्मान दिया था ।
विडम्बना है कि मौजूदा दौर में टूटी – फूटी गलियां , जर्जर भवन , तालाब व मुंह चिढ़ाती गंदगी ही इसकी असली तसवीर है । परागपुर भले ही देश का पहला विरासत गांव बन गया हो , लेकिन आज खुद परागपुर के ही लोगों को यह समझ नहीं आता कि किस आधार पर इसको हेरिटेज विलेज घोषित किया गया । लोग सारे मामले को शक की निगाह से देखते हैं । लोगों का मामना है कि कुछ जिज्ञासु पत्रकार व विदेशी पर्यटक कभी- कभार जब यहां आते हैं तो ही हमें अहसास होता है कि हम यहां के बशिंदे हैं । हाट बाजार व गली – कूचों में हर किसी से बात करने पर यही जबाब मिलता है ।
उल्लेखनीय है कि परागपुर में जस्टिस जियालाल द्घारा एक भवन जजिज कोर्ट के नाम से बनाया गया था, जो कि अब हेरिटेज होटल है । बताया जाता है कि जस्टिस जियालाल अंग्रेजी शासनक काल में काफी प्रभावशाली व्यक्ति थे , वर्तमान दौर में उनके वंशज विजय लाल ही इस हेरिटेज होटल जय भवन का रखरखाव करते हैं व वे ही परागपुर को देश का पहला विरासत गांव बनवाने में जिम्मेवार हैं ।
विजय लाल ने बताया कि लोगों की शकांए निरर्थक हैं विजय लाल बताते हैं कि परागपुर में वह सब है जो अन्य गावों में नहीं है । घरों पर खप्परैल , कच्ची पगडंडियां व कच्चे मकान बकौल उनके आपको परागपुर में ही मिलेगें । हमने हर पुरानी चीज को सहेज कर रखा है व सारा वातावरण आधुनिकता को छू तक नहीं पाया है । उनका मानना है कि सरकार को पांच सितारा पर्यटन की बजाय ग्रामीण पर्यटन को तरजीह देनी चाहिए , ताकि पर्यटक अधिक तादाद में आकर्षित हो सकें । उन्होंने दावा किया कि परागपुर की लोहडी को अब देश दुनिया के लोग जानने लगे हैं।
परागपुर इन दिनों एकाएक फिर सुर्खियों में आ गया है , परागपुर में लोहडी उत्सव मनाया जा रहा है। स्थानीय लोग इससे बेखबर हैं ।
परागपुर के अधिकतर लोग मानते हैं कि पिछले अरसे में यहां सुविधाओं में कोई विस्तार नहीं हुआ है । हांलाकि सरकार ने इसे विरासत गांव घोषित किया है । एक क्षुब्ध ग्रामीण हेमराज ने कहा कि जब भी यहां कोई अति विशिष्टï व्यक्ति आने को होता है तो सुनियोजित तरीके से ड्रामेबाजी की जाती है , लोगों को छला जाता है । तीन साल बाद हमें अहसास हुआ है कि यहां चंद मुठी भर लोगों को विरासत गांव होने का जरूर फायदा हुआ है । लेकिन आम आदमी अब भी बदतर जिंदगी बसर कर रहा है । महिलाओं को अब भी मीलों पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है । गांव में शौचालय तक की व्यवस्था मयस्सर नहीं ।
परागपुर के राम गोपाल, जिन्हें हेरिटेज का कंससेप्ट ही समझ नहीं आ पा रहा है , वह बताते हैं कि गांव के विभिन्न विकास कार्यों के लिए जो कमेटी बनी है , उसने कभी भी दूसरे लोगों को विश्वास में नहीं लिया । उन्हें दु:ख है कि यह दिखावा महज उन लोगों का है जो यहां रहते तक नहीं । लोग इसके पीछे हेरिटेज होटल के मालिक विजय लाल के राजनैतिक प्रभाव को इसमें कारक मानते हैं । वहीं कुछ लोग प्रदेश के आला प्रशासनिक अधिकारी बलराम शर्मा जो परागपुर के बशिंदे हैं , पर दोष मढ़ते हैं कि उन्होंने ही हेरिटेज के बहाने चंद लोगों को फायदा दिलाया है ।
गोपाल कृष्ण ने बताया कि लोगों को इस बाबत बताया भी नहीं गया व सारी औपचारिकता गुपचुप पूरी कर दी गयी । उन्होंने आक्रोश जताया है कि स्थानीय तालाब सदियों से गंदगी से सरोबार है , लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देता व गर्मियों में यह मच्छर पैदा करने का केन्द्र बन गया है । तमाम नालियां गंदगी से अटी पड़ी हैं । चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है ।
सालों से मध्य मार्किट में प्रदेश पयर्टन विभाग ने छह सोलर प्रकाश सतंभ लगाये हैं । इनके रख रखाव का भी कोई वारिस नहीं । परागपुर के बाशिंदे होने के बावजूद उनका मानना है कि विरासत गांव घोषित करने के मामले में परागपुर का चयन गलत था । उनका मानना है कि चूंकि हरिपुर व गुलेर जैसे स्थान जहां किले , आनंद महल व मंदिर यहां से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं , वहीं विरासत बने, परागपुर में तालाबों व हवेलियों के सिवा आखिर महत्वपूर्ण है क्या । उल्टे उन्होंने सवाल दागा । यहां तालाब को 1930 में लाला रिडक़ू राम ने बनवाया था ।