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कसौली क्लब में तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट संपन्न

सोलन: ऐतिहासिक कसौली क्लब में आयोजित होने वाला तीन दिवसीय खुशवंत सिंह लिट फेस्ट रविवार को संपन्न हो गया। समापन अवसर पर फेस्ट के आयोजक व खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के 13वें संस्करण का समापन देवदत्त पटनायक द्वारा की गई ऐतिहासिक टिप्पणी के साथ हुआ कि सिंधु घाटी सभ्यता मुख्य रूप से एक व्यापारिक सभ्यता थी, जिसमें युद्ध और पंडिताई विदेशी अवधारणाएं थीं।

लिटफेस्ट में अपनी नवीनतम पुस्तक “अहिंसा” पर अपना पहला सार्वजनिक वक्तव्य देते हुए पटनायक ने कहा कि हाल ही में प्रकाशित पुस्तक में हड़प्पा काल की बारीकियों का पता लगाया गया है जो मैसोपोटामिया सभ्यता के समकालीन थे। पटनायक ने अपनी नवीनतम पुस्तक ‘अहिंसा’ से अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने पौराणिक कथाओं के माध्यम से हड़प्पा सभ्यता की जांच करके एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

13th edition of the Khushwant Singh Litfest concluds

खुशवंत सिंह लिटरेरी फेस्टिवल के तीसरे दिन समापन सत्र में वक्ता अमिताभ कांत “विकसित भारत 2047” पर  वार्ताकार राहुल सिंह के साथ बातचीत की। चर्चा में भारत के विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग की कल्पना को मूर्त रूप देने की बात कही। अमिताभ कांत भारत के गौरवशाली अतीत से लेकर भविष्य की आकांक्षाओं तक की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रमुख रणनीतियों और पहलुओ की रूपरेखा पर अपने विचार रखे, जो सतत विकास और विकास को बढ़ावा दे सकती हैं। इस अवसर पर बोलते हुए कांत ने कहा कि देश को आर्थिक गति देनी है तो वर्कफोर्स में  महिलाओं की भागीदारी 50 फीसदी करनी होगी।  

अंतिम दिन के दूसरे सत्र में वक्ता सौरभ किरपाल और रोहिन भट्ट “कुछ भारतीय दूसरों की तुलना में अधिक समान हैं” पर वार्ताकार  ज्योति मल्होत्रा के साथ चर्चा की। इस सत्र में  इस चर्चा में समकालीन भारत में न्याय, स्वतंत्रता और समानता के दबाव वाले मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। सौरभ किरपाल और रोहिन भट्ट ने समानता के आदर्श केवल पाइप ड्रीम हैं या संभावित नवीनीकरण, हमारे समाज में समानता और असमानता के जटिल प्रतिच्छेदन की जांच करते हैं। इस बात पर बल दिया गया।

एक जीवंत सत्र में वक्ता श्रीराम देवथा ने “चीयर्स!” पर वार्ताकार डेसमंड नाजऱेथ के साथ बातचीत की। यह चर्चा मिक्सोलॉजी और असाधारण कॉकटेल बनाने की कला की एक सुखद खोज रही। देवाथा हमें पेय पदार्थों की दुनिया की यात्रा पर ले गए, जिसमें “देवताओं के अमृत” को “जीवन के अमृत” के साथ मिलाया। एक आकर्षक संवाद में पीने की संस्कृति, प्रतिष्ठित कॉकटेल के पीछे की कहानियों और दोस्तों के साथ टोस्ट साझा करने की खुशी का जश्न मनाया।

  वक्ता भाईचंद पटेल “एक पुरानी आवाज़, एक नई किताब” पर वार्ताकार विक्रमजीत साहनी के साथ बातचीत की। पटेल अपनी लेखन प्रक्रिया, अपनी नई किताब में खोजे गए विषयों और अपने अनुभवों ने इस नवीनतम पेशकश को कैसे आकार दिया है।  

  वक्ता पूनम खैरा सिद्धू, अनुराधा जैन, डॉ. आनंद गोकानी, डॉ. रचना सिंह और जनरल के.जे. सिंह (सेवानिवृत्त) शामिल हुए, जिसमें उन्होंने वार्ताकार सत्य सरन के साथ बातचीत की। इस चर्चा में उभरती आवाज़ों और समकालीन साहित्य पर नए दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला। वक्ता साहित्यिक परिदृश्य को आकार देने वाली नई पुस्तकों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करेंगे, जो आज के पाठकों के साथ प्रतिध्वनित होने वाले नवीन विचारों और कथाओं को उजागर किया।

 वक्ता नेहा भट ने “लेट्स टॉक अबाउट सेक्स, बेबी” पर वार्ताकार बच्ची करकरिया के साथ बातचीत में, इस चर्चा का उद्देश्य सेक्स के बारे में आपके सवालों को सुलझाना और उन्हें स्पष्ट करना था। भट सामाजिक वर्जनाओं और गलत धारणाओं को इंगित किया। एक ऐसे विषय पर स्पष्ट और सूचित दृष्टिकोण प्रदान किया, जिस पर अक्सर चुप्पी साध ली जाती है।

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