कुल्लू : पिछले कल सुबह करीब 8 बजे हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) की हिमधारा बस लेह से दिल्ली की ओर जा रही थी। बस के चालक कमलेश कुमार और परिचालक पंकज रावत, देश के सबसे ऊंचे दर्रों में से एक तंगलंगला टॉप (ऊंचाई 18,000 फीट से अधिक) को पार कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि सड़क से करीब 200 मीटर नीचे एक जीप दुर्घटनाग्रस्त हालत में पड़ी है, और उसमें ड्राइवर व कंडक्टर गंभीर रूप से घायल अवस्था में पड़े हैं।
वह इलाका ऑक्सीजन की भारी कमी, बर्फीली हवा और बेहद खतरनाक ढलानों के लिए जाना जाता है। मौके पर मौजूद अन्य लोग हालात को देख रहे थे लेकिन कोई भी व्यक्ति नीचे उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। समय बीतता जा रहा था, और हर पल घायलों के जीवन के लिए खतरनाक होता जा रहा था।

तभी आगे आए HRTC के ये दो असली हीरो कमलेश और पंकज, बिना एक पल गंवाए, उन्होंने तुरंत हालात का जायजा लिया और रेस्क्यू का साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने बस से स्लीपिंग बैग निकाला, उसका स्ट्रेचर तैयार किया और कुछ साहसी यात्रियों को साथ लेकर लगभग 200 मीटर नीचे उतर गए। जोखिम भरे हालात में घायलों तक पहुंचना आसान नहीं था, ऑक्सीजन की कमी से सांस लेना भी कठिन हो रहा था।
उन्होंने घायलों को सावधानीपूर्वक स्ट्रेचर पर लिटाया और लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद उन्हें सुरक्षित सड़क तक लाए। इसके बाद अपनी बस की पिछली सीट को इमरजेंसी बेड में बदलते हुए, लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित पांग आर्मी अस्पताल तक उन्हें सुरक्षित पहुंचाया।
आर्मी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद यह सामने आया कि दोनों घायलों की टांगें टूट चुकी थीं। समय पर इलाज न मिलता तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। इसके बाद भारतीय सेना द्वारा हेलीकॉप्टर से उन्हें लद्दाख मेडिकल फैसिलिटी रेफर किया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
इस पूरे घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि HRTC सिर्फ एक परिवहन संस्था नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में तत्पर एक कर्मशील संगठन है। वहां के चालक और परिचालक ना सिर्फ बस चलाना जानते हैं, बल्कि कठिन परिस्थितियों में जीवन बचाने का माद्दा भी रखते हैं।
यह घटना केवल एक रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं, बल्कि मानवता, साहस और सेवा भावना की ऐसी मिसाल है, जो लंबे समय तक याद रखी जाएगी।