शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने राज्य सरकार के समक्ष एक प्रमुख मांग रखते हुए कहा है कि अनुबंध और ट्रेनी पॉलिसी के तहत कार्यरत कर्मचारियों को दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करते ही स्वतः (ऑटोमेटिक) नियमित किया जाना चाहिए। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा कि वर्तमान प्रक्रिया में नियमितीकरण के लिए दोबारा कैबिनेट की मंजूरी और फाइलों की लंबी औपचारिकताओं का पालन करना पड़ता है, जो न केवल अनावश्यक है बल्कि इससे कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना भी बढ़ती है।

महासंघ ने तर्क दिया है कि जब किसी कर्मचारी की प्रारंभिक नियुक्ति होती है, तो वह पद पहले से ही स्वीकृत होता है और चयन प्रक्रिया व दस्तावेजों का सत्यापन भी उसी समय पूर्ण कर लिया जाता है। ऐसे में, दो वर्ष की संतोषजनक सेवा के बाद किसी अतिरिक्त मंजूरी की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। महासंघ की मांग है कि जिस तिथि को कर्मचारी का अनुबंध या ट्रेनी कार्यकाल पूरा हो, उसी दिन से उसका नियमितीकरण प्रभावी माना जाए और विभाग बिना किसी देरी के आदेश जारी करें।
महासंघ का मानना है कि इस प्रक्रिया को स्वचालित और सरल बनाने से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और कार्यस्थल पर दक्षता व स्थिरता आएगी। नियमितीकरण में देरी से हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित होती है। इस मांग का समर्थन करते हुए उमेश कुमार महासचिव, सुशील शर्मा उपाध्यक्ष, जगदीश राणा उपाध्यक्ष, विजय कुमार, लेख राज शर्मा, हेमंत ठाकुर, प्रेस सचिव पंकज शर्मा, जिला मंडी के अध्यक्ष हेत राम शर्मा और प्रवक्ता हेम राज धीमान ने सरकार से अपील की है कि इस संबंध में तुरंत स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं ताकि कर्मचारियों को तत्काल राहत मिल सके।