सोलन: कृषि-बागवानी क्षेत्र में नवीन विचारों को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों में कृषि-स्टार्टअप तंत्र को विकसित करने की आवश्यकता है। यह बात डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के उद्यान आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने गुरुवार शाम को आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
इस अवसर पर डॉ. कुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की तुलना में स्टार्टअप की संख्या बहुत ही कम है। उन्होने कहा कि छात्रों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए उन्हें उचित वित्तीय ज्ञान से लैस करने की आवश्यकता है। इस पर तीन महीने का कोर्स होना चाहिए जिसमें इस विषय पर छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए। डॉ कुमार ने फैकल्टी से कक्षा शिक्षण से बाहर भी सोचने और सफल पूर्व छात्रों और उद्यमियों के साथ वर्तमान छात्रों को जोड़ने और उन्हें नौकरी प्रदाता बनने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया।
डॉ कुमार ने कहा कि 2050 तक वैश्विक आबादी 9.7 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें भारत सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होगा। उन्होंने कहा कि इस आबादी के लिए हमें अपना खाद्य उत्पादन बढ़ाना होगा और इसमें कृषि-बागवानी क्षेत्रों की प्रमुख भूमिका है। डॉ. कुमार ने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने ज्ञान को मूर्त रूप दें और अपने कौशल में लगातार सुधार करते रहें। उन्होंने कहा कि छात्रों को मोबाइल पर ‘स्क्रीन टाइम’ कम करना चाहिए और इस समय को कुछ पढ़ने में लगाना चाहिए।
फॉरेस्ट कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, मेट्टुपलायम के डीन और प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. के टी पार्थिबन, ने भी अवसर पर औद्योगिक कृषि वानिकी में मूल्य श्रृंखला की स्थिति और विकास पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने कृषि वानिकी के महत्व और इसके सामने आने वाली चुनौतियों के लिए और तकनीकी, संगठनात्मक और बाजार हस्तक्षेपों से शमन रणनीतियों के बारे में बात की। उन्होंने कंसोर्टियम ऑफ इंडस्ट्रियल एग्रो-फॉरेस्ट्री मॉडल के बारे में विस्तार से बताया, जिसे उद्योग द्वारा सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में उत्कृष्टता का एक लंबा इतिहास रहा है और इसके वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और छात्रों के संयुक्त प्रयासों ने हिमाचल प्रदेश को बागवानी और वानिकी में बहुत ख्याति दिलाई है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय कृषि विश्वविद्यालयों और स्कूली छात्रों के लिए प्राकृतिक खेती पर पाठ्यक्रम के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। प्रो चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती में विभिन्न फलों और सब्जियों के पैकेज ऑफ प्रैक्टिस विकसित करने के अंतिम चरण में है और इस खेती तकनीक पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने वर्तमान छात्रों और पूर्व छात्रों के बीच निरंतर बातचीत का आह्वान किया।
विश्वविद्यालय के छात्रों ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिसका सभी अतिथियों ने भरपूर आनंद उठाया। स्थापना दिवस के अवसर पर कई खेल प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई।
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र- आशीष डोभाल, अजय राणा, उमेश महाजन, हरिंदर सिंह, रूपिंदर सैनी और मंजुला सुलारिया, सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और कर्मचारी, सीनेट के सदस्य, प्रबंधन बोर्ड, अकादमिक, विस्तार और अनुसंधान परिषद, प्रगतिशील किसान, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में शामिल हुए।