सोलन: डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कंडाघाट स्थित कृषि विज्ञान केंद्र सोलन में 19वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति एवं वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल द्वारा की गई। बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान ज़ोन 1, लुधियाना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजेश राणा, खुम्ब अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश कुमार, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान मशोबरा के सह निदेशक डॉ. दिनेश ठाकुर, कृषि उपनिदेशक, उद्यान, पशुपालन विभाग तथा आत्मा परियोजना के पदाधिकारियों के अतिरिक्त प्रगतिशील किसान बागवानों और केवीके के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के आरम्भ केंद्र द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी के अवलोकन से हुआ। इस बैठक का उद्देश्य कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा तथा आने वाले समय में किए जाने वाले कार्यों की रूपरेखा तैयार करना था। बैठक के आरंभ में निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ इंद्रदेव ने सभी सदस्यों का स्वागत किया जिसके पश्चात कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ अमित विक्रम ने 18वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक की सिफारिशों पर केंद्र द्वारा की गई कार्रवाई, वर्ष 2023-24 में केंद्र द्वारा किए गए कार्यों तथा आगामी वर्ष में किए जाने वाले कार्यों पर प्रस्तुति दी। बैठक में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सभी सदस्यों द्वारा अपने सुझाव दिए गए।
इस अवसर पर प्रोफेसर चंदेल ने सुझाव दिया कि केंद्र द्वारा जो तकनीक किसानों को प्रक्षेत्र परीक्षण या अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों के द्वारा पहुंचाई जा रही है उनकी समीक्षा करना आवश्यक है। केंद्र द्वारा प्रसारित कोई भी तकनीक कितने किसानों द्वारा अपनाई गई व कितना क्षेत्रफल उस तकनीक के अंतर्गत या फसल के अंतर्गत बढा, इस प्रकार की समीक्षा केंद्र द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र कंडाघाट को किसानों को विभिन्न किसान उत्पादक संगठनों के साथ जोड़ने का भी प्रयास करना चाहिए। प्रो चंदेल ने केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों की भी सराहना की और प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केंद्र का आईसीएआर पुरस्कार जीतने पर बधाई दी।
चर्चा के दौरान धरोट गांव के प्रगतिशील किसान मदन गोपाल शर्मा ने बताया कि सूखी घास की कमी के कारण वह अपने खेतों में आच्छादन नहीं कर पाते हैं जिसपर प्रो चंदेल ने सुझाव दिया कि केंद्र द्वारा विभिन्न प्रकार के अच्छादनों का खेती में प्रयोग पर शोध किया जाना चाहिए। जिला कृषि अधिकारी डॉ सीमा कंसल ने बताया कि नालागढ़ क्षेत्र में किसान मुख्यतः: गेहूं-धान लगाते हैं और उनके खेतों से लिए मिट्टी के नमूनों में जिंक की कमी पाई गई है। आत्मा परियोजना के निदेशक डॉ योगराज चौहान ने बेर गांव में टमाटर में पिनवर्म की समस्या को उजागर किया।
समिति अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि प्रशिक्षण शिविरों को अधिक से अधिक व्यावहारिक बनाने और शिविरों में किसानों को खेतों में जाकर प्रायोगिक परीक्षण के माध्यम से सिखाने की आवश्यकता पर बल दिया। अटारी ज़ोन 1, लुधियाना से आए डॉ राजेश राणा ने कहा कि वैज्ञानिक अपनी शोध पत्रों को प्रकाशित करने से पूर्व शोध पत्रिका की प्रतिष्ठा एवं इंपैक्ट फैक्टर को ध्यान में रखें। साथ ही साथ उन्होंने केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा प्रसारित की जा रही तकनिकों को अटारी से पंजीकृत करने की भी सलाह दी। बैठक के दौरान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक खेती, शिमला मिर्च एवं गुलदाउदी की खेती विषयों पर लिखी गई पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया।