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सोशल मीडिया एकाउंट बनाते समय लगे आधार कार्ड : विक्रमजीत साहनी

सोलन: कसौली में चल रहे खुशवंत सिंह लिट फेस्ट के दूसरे दिन कई महत्वपूर्ण सत्र हुए। एक सत्र में वक्ता रख्शंदा जलील और विक्रमजीत साहनी “नफरत के समय में प्यार” पर वार्ताकार अमित वर्मा के साथ बातचीत की। साहनी ने कहा कि हेट स्पीच पर चर्चा की उन्होंने बताया कि जब हम सिम लेते हैं तो आधार कार्ड लगाता है, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ नहीं। सोशल मीडिया पर रेगुलेटरी कमीशन होना चाहिए और नफरत फैलाने वाले दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।  

Vikramjit Sahney

एक सत्र में वक्ता डॉ. मीरान बोरवणकर, नुसरत जाफरी और डॉ. कल्पना शंकर “बैड गल्र्स गो एवरीवेयर पर वार्ताकार सारा जैकब के साथ बातचीत की। विविध क्षेत्रों में बाधाओं को तोडऩे वाली महिलाओं की उल्लेखनीय यात्राओं का जिक्र किया। वक्ता एक परमाणु वैज्ञानिक, एक शीर्ष पुलिस अधिकारी और एक पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जो अक्सर “अपराधी” के रूप में लेबल किए जाने वाले समुदाय से हैं। उनकी कहानियां समाज में महिलाओं की लचीलापन, साहस और परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण हैं। यह सत्र चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति को प्रदर्शित करता है।

इस सत्र में वक्ता अरुंधति सुब्रमण्यम और रक्षंधा जलील के वार्ताकार निरुपमा दत्त के साथ बातचीत की। सुब्रमण्यम और जलील कविता के दिव्य और नश्वर पहलुओं पर की, जो हमारे युग की सामाजिक और राजनीतिक वास्तविकताओं के बीच मानवीय स्थिति को उजागर करने वाले जीवित पाकिस्तानी कवियों के कार्यों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

सत्र में वक्ता राधा कुमार “संघर्ष के समय में लोकतंत्र”पर वार्ताकार भूपेंद्र चौबे के साथ बातचीत की। इसमें वैश्विक संदर्भ में भारत में लोकतंत्र को नवीनीकृत करने की चुनौतियों को उजागर किया। वक्ता राधा कुमार ने कहा कि 1951 से लेकर वर्ष 2024 के चुनाव में गरीबी हटाओ के नाम पर चुनाव लड़े जा रहे हैं। कुमार ने आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के संघर्ष लोकतांत्रिक संस्थाओं और शासन को कैसे प्रभावित करते हैं, भारत के सामने आने वाली अनूठी बाधाओं की जांच करते हुए, क्योंकि यह लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने का प्रयास करता है।

रचनात्मकता के विकसित होते रूप पर वक्ता अमित वर्मा ने चर्चा की। इस चर्चा में पॉडकास्ट से लेकर ग्राफिक उपन्यासों और उससे आगे साहित्य के परिदृश्य को बदलने वाले रोमांचक नवाचारों का पता लगाया।  

दिन के अंतिम सत्र में वक्ता सरबप्रीत सिंह “सिखों का उदय पर वार्ताकार    ज्योति मल्होत्रा के साथ बातचीत की। उन्होंने चर्चा में सिख समुदाय की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन किया। सरबप्रीत सिंह सिख पहचान और ताकत को आकार दिया है, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयामों की खोज करेंगे जो पीढिय़ों को प्रेरित करते रहते हैं, जो सिख अनुभव और उनके स्थायी विरासत को आगे बढ़ाने वाले मूल्यों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।