नाहन: प्राचीन परंपराओं के साथ चलने वाला नाहन शहर एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश करने जा रहा है। मुहर्रम के पवित्र महीने में जहां पूरी दुनिया में इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की शहादत को शोक और मातम के साथ याद किया जाता है, वहीं इस बार नाहन में इस शहादत को एक नई सोच और सेवा के साथ मनाने की तैयारी की जा रही है।
इस्लाम धर्म में मुहर्रम विशेष रूप से शिया समुदाय के लिए गहरे शोक का समय होता है। करबला की जंग में इंसाफ, सच्चाई और मानवता के लिए इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कुर्बानी आज भी दुनिया के लिए प्रेरणा है। परंपरागत रूप से ताजियों का जुलूस, मातम और खुद को ज़ख्मी करने जैसी रस्में निभाई जाती हैं। लेकिन नाहन शहर से एक नई मुहिम की शुरुआत की जा रही है, मातम में खून बहाने की जगह ज़रूरतमंदों को जीवनदान देने के लिए रक्तदान।

नाहन के सामाजिक कार्यकर्ता एवं यूथ कांग्रेस अध्यक्ष आमिर खान ने लोगों से अपील की है कि वे अपने खून की एक-एक बूंद को किसी अस्पताल या ब्लड बैंक में दान करें, ताकि किसी ज़रूरतमंद की जान बचाई जा सके। उन्होंने कहा, “नबियों ने कभी नहीं कहा कि आप उनकी शहादत की याद में अपने शरीर को तकलीफ दें। हमें इमाम हुसैन की कुर्बानी पर गर्व है और इस गर्व को हमें सेवा और मदद में बदलना चाहिए।”
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अंजुमन इस्लामिया नाहन की ओर से कल, 6 जुलाई को कच्चा टैंक मस्जिद परिसर में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शिविर सुबह 10 बजे से शुरू होगा, जिसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोग भाग ले सकते हैं। आयोजकों का मानना है कि यह एक ऐसा कदम है, जो समाज में नई सोच और सकारात्मक बदलाव की शुरुआत कर सकता है।
इस मुहिम का उद्देश्य न केवल शहादत की भावना को और गहरा करना है, बल्कि इसे एक रचनात्मक रूप देना भी है। एक तरफ शहादत की याद और दूसरी तरफ किसी अनजान ज़रूरतमंद को जीवनदान, यही सच्चा इंसाफ और इंसानियत का रास्ता है।