सोलन: जिला के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनमोहन कोहली को हाल ही में पैराग्वे गणराज्य का सर्वोच्च सम्मान नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट इन द ग्रेड ऑफ कोमैंदादोर से सम्मानित किया। यह विशिष्ट सम्मान, पैराग्वे गणराज्य के राष्ट्रपति की ओर से दिया गया। ये सर्वोच्च नागरिक और सैन्य सम्मान, उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो राष्ट्र के उत्थान में अपना उल्लेखनीय योगदान देते हैं। यह सोलन ही नहीं पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। डॉ. कोहली की अपने काम के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और असाधारण काम सभी के लिए प्रेरणादायक है।
डॉ. मनमोहन कोहली प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार हैं और कैपेको में उन्होंने राष्ट्रीय गेहूं कार्यक्रम को लीड किया। इसका असर यह हुआ कि जो पैरग्वे गणराज्य एक दशक पहले जो गेंहू आयात करता था, अब वह एक करोड़ डॉलर से अधिक का गेंहू प्रतिवर्ष निर्यात कर रहा है। उन्होंने पैराग्वे गणराज्य में हरित क्रांति लाई है और हर टेबल पर ब्रैड पहुंचाने में कामयाब हुए हैं। उन्हें देश में फादर ऑफ व्हीट (गेंहू का पिता) कहा जाता है, जो प्रतिदिन उनके टेबल पर ब्रैड यानि रोटी परोस रहा है। गेहूं अनुसंधान के प्रति उनके अद्वितीय समर्पण और राष्ट्र पर इसके गहरे प्रभाव को रेखांकित करता है। साधारण शुरुआत से लेकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति तक की उनकी यात्रा सभी के लिए प्रेरणादायक है।
उन्होंने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई ब्वॉयज सीनियर सेकंडरी स्कूल सोलन से वर्ष 1960 में पूरी की। इसके बाद राज्यस्थान के उदयपुर कॉलेज से कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री और इसके बाद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) दिल्ली से मास्टर डिग्री व पीएचडी की डिग्री हासिल की। डॉ. कोहली ने अपने व्यापक कार्य और समर्पण के माध्यम से खुद को पैराग्वे में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है। पिछले तीन दशकों में, उन्होंने 20 से अधिक विशिष्ट राष्ट्रीय गेहूं किस्मों के निर्माण और उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि गेहूं अनुसंधान के क्षेत्र में उनके जुनून और विशेषज्ञता को दर्शाती है। वैसे वह 6 दशक से कृषि क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
अविभाजित भारत में जन्मे डॉ. मनमोहन कोहली की यात्रा लचीलेपन और समर्पण की रही है। भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार अनगिनत अन्य लोगों के साथ भारत आ गया। पंजाब के पहाड़ी क्षेत्र (अब हिमाचल प्रदेश का हिस्सा) के सोलन शहर में बसा। डॉ. मनमोहन कोहली सोलन के पैलेस रोड निवासी हैं और साल में एक बार सोलन अपने घर जरूर आते हैं। उनका परिवार के सदस्य सोलन में रहते हैं और उनकी इस उपलब्धि से गदगद हैं। उनके भतीजे संजय कोहली ने भी अपने चाचा की इस उपलब्धि पर खुशी जताई है। उनके सहपाठी डॉ. राम कुमार बिंदल, जगदीश गारला, इंद्रजीत सिंह समेत अन्य है। उन्होंने बताया कि सोलन से उन्हें बेहद प्यार हैं। जब वह सोलन आते हैं तो वह मत्यूल, खनोग, सेरी में सैर करने जाते हैं।
79 वर्षीय वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनमोहन कोहली ने पैराग्वे से बातचीत में बताया कि उन्हें यह अवार्ड पैराग्वे के राष्ट्रपति द्वारा डॉ. मनमोहन कोहली कि अगस्त माह में दिया गया। इसे पैराग्वे गणराज्य ने नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट इन द ग्रेड ऑफ कॉमैंदादोर अवार्ड कहते हैं। यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो पांच या 7 साल में किसी एक व्यक्ति को दिया जाता है। यह उनके लिए और भारत के लिए गर्व की बात है।
डॉ. मनमोहन कोहली ने बताया कि इससे पहले वह मैक्सिकन गेंहू इंस्टीट्यूट मैक्सिको में रीजनल डॉयरेक्टर साउथ अमेरिका रहे। इसके अधीन आधा दर्जन देश आते थे। यहां से 2005 में सेवानिवृत होने के बाद उन्हें पैराग्वे में सेवा का अवसर दिया गया। उन्होंने बताया कि पैराग्वे में वर्ष 2005 में अढ़ाई लाख मिट्रिक टन गेंहू का उत्पादन होता था, जबकि खपत 5 लाख मिट्रिक टन की थी। इस गेप को पूरा करने के लिए गेंहू पर अनुसंधान किया गया और उन्नत किस्में तैयार की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि आज पैराग्वे देश में गेंहू की खपत 6.5 लाख मिट्रिक है, जबकि उत्पादन दोगुना है। अब पैराग्वे प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ डॉलर से अधिक का गेंहू निर्यात करता है।
उनके परिवार में उनकी पत्नी मारिया टैरेसा, बेटा अमित लंदन में इंजीनियर है और बेटी आरती अमेरिका में मनोचिकित्सक पद पर अपनी सेवाएं दे रही है