नाहन : आज आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स यूनियन संबंधित सीटू की बैठक जिला उपाध्यक्ष शीला ठाकुर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में सीटू जिला महसचिव आशीष कुमार ने आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स की दशकों से लंबित समस्याओं को उठाया। उन्होंने कहा कि देश में कुपोषण और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस योजना के तहत 25 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं निस्वार्थ सेवा दे रही हैं। इसके बावजूद उन्हें श्रमिक का दर्जा नहीं मिलना और न्यूनतम वेतन से भी कम पर जीवित रहने के लिए मजबूर होना, राष्ट्रीय शर्म की बात है।
आशीष कुमार ने कहा कि आईसीडीएस योजना, जो 2025 में अपने 50 साल पूरे करेगी, को सरकार द्वारा मजबूत करने के बजाय कमजोर किया जा रहा है। पिछले कई वर्षों से वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है। आंगनवाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, पोषण की खराब गुणवत्ता और डिजिटलीकरण के नाम पर कार्यकर्ताओं को दबाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और गुजरात उच्च न्यायालय ने आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रूप में नियमित करने और ग्रेच्युटी का लाभ देने का आदेश दिया है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।
आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स लंबे समय से अपने अधिकारों और मान्यता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में नियमितीकरण और श्रमिक का दर्जा शामिल है, जिससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभ मिल सकें। वे न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रति माह और ₹10,000 मासिक पेंशन की मांग कर रहे हैं, जो उनके जीवनयापन के लिए अत्यावश्यक है। इसके अलावा, आंगनवाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और पोषण की खराब गुणवत्ता एक बड़ी समस्या है, जिसे सुधारने की आवश्यकता है।
डिजिटलीकरण और निजीकरण के नाम पर वर्कर्स का उत्पीड़न और योजनाओं में लाभार्थियों को हटाने जैसे कदम भी उनके कार्यक्षेत्र को और कठिन बना रहे हैं। यूनियन का यह भी मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत आंगनवाड़ी को स्कूली शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का निर्णय गलत है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उनकी मांग है कि आंगनवाड़ी केंद्रों को एक स्वतंत्र और मजबूत नोडल एजेंसी के रूप में विकसित किया जाए, ताकि छह साल से कम उम्र के बच्चों की शिक्षा और पोषण की आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।
बैठक में एनईपी 2020 के तहत आंगनवाड़ी को स्कूली शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का भी विरोध किया गया। वक्ताओं ने मांग की कि छह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा का कानूनी अधिकार सुनिश्चित किया जाए और आईसीडीएस को मजबूत करने के लिए बजट में वृद्धि की जाए।
यूनियन ने फरवरी 2025 में दिल्ली में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की घोषणा की। इस प्रदर्शन में देशभर से हजारों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं हिस्सा लेंगी। बैठक में देव कुमारी, शायमा शर्मा, अंजू, कमला, पूजा समेत कई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। यूनियन ने स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।