शिमला 29 जनवरी: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां वर्ष 2024-25 के लिए विधायकों की प्राथमिकताएं निर्धारित करने के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। प्रथम दिन के पहले सत्र में जिला ऊना, हमीरपुर तथा सिरमौर के विधायकों की प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा वार्षिक योजना 2024-25 का आकार 9989.49 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार आगामी चार वर्षों में हिमाचल को आत्मनिर्भर तथा 10 वर्षों में देश के सबसे समृद्ध राज्यों में शामिल करने के लक्ष्य के साथ कार्य कर रही है। इस बैठक में होने वाली चर्चा से हमें प्रदेश में विकास की दिशा तय करने के लिए बहुमूल्य सुझाव प्राप्त होंगे। वर्तमान सरकार प्रदेश के सभी क्षेत्रों तथा समाज के सभी वर्गों के तीव्र एवं सन्तुलित विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य से कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र को राज्य सरकार ने नीतिगत दस्तावेज के रूप में अपनाया है तथा इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। हाल ही में विश्व बैंक के साथ 2,000 करोड़ रुपये का समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया गया है जिससे अगले पांच वर्षाें में जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा विकास कार्यक्रम के तहत प्रदेश में कार्य किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विधायकों की प्राथमिकताओं को सामान्यतः नाबार्ड संचालित आरआईडीएफ कार्यक्रम से वित्त पोषित किया जाता है। वर्ष 2023-24 के दौरान नाबार्ड से 918.81 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं जिसमें लोक निर्माण विभाग की 62 एवं जल शक्ति विभाग की 93 विधायक प्राथमिकताएं स्वीकृत करवाई जा चुकी हैं। मार्च माह तक नाबार्ड से और अधिक विधायक प्राथमिकताओं को स्वीकृत करवाने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग एवं जल शक्ति विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि नाबार्ड के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट परिव्यय का पूर्ण उपयोग करें और नाबार्ड कार्यालय में प्रतिपूर्ति दावे 15 मार्च, 2024 से पहले जमा करें।
मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों तथा अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विधायकों द्वारा उठाई गई समस्याओं एवं शिकायतों को निपटाने में किसी प्रकार की कोताही न बरतें तथा उनके बहुमूल्य सुझावों को उचित अधिमान दें।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विधायकांे द्वारा दी गई योजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के बनने में होने वाले विलम्ब को कम करने के लिए एफसीए, एफआरए तथा गिफ्ट डीड आदि औपचारिकताओं का समयबद्ध निराकरण करें। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित विभाग और उपायुक्त भी अपने स्तर पर हर माह प्राथमिकताओं की समीक्षा करें और इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जन-जन के कल्याण के लिए ईमानदारी से कार्य कर रही है, जहां महिलाओं, युवाओं, किसानों और कर्मचारियों सहित समाज के सभी वर्गों को उचित सम्मान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार, परिपाटी से हटकर योजनाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से कार्य कर रही है। पिछले एक वर्ष में सरकार ने तीन गारंटियां पूरी कर दी हैं। पहली ही कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन योजना लागू की गई। रोजगार सृजन के दृष्टिगत 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के पहले चरण में ई-टैक्सी योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य सरकार युवाओं को ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान कर रही है। ई-टैक्सी से कार्बन उत्सर्जन कम होगा तथा युवाओं को एक निश्चित आय प्रदान करने के लिए सभी सरकारी कार्यालयों में ई-टैक्सियों को अनुबन्ध आधार पर संचालित किया जाएगा। इसके लिए पोर्टल तैयार कर पंजीकरण शुरू कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा श्रमिकों की दिहाड़ी 212 रुपये से बढ़ाकर 240 रुपये की गई है तथा इससे प्रदेश में नौ लाख पात्र लोगों को लाभ सुनिश्चित हुआ है जिनमें 65 फीसदी महिलाएं हैं तथा जनजातीय क्षेत्रों में दिहाड़ी 266 से बढ़ाकर 294 रुपये की गई है। राज्य सरकार ने 4,000 अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ के रूप में अपनाया है। उनके कल्याण के लिए कानून बनाया और मुख्यमंत्री सुख-आश्रय कोष की स्थापना कर मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना शुरू की गई, जिसके तहत राज्य सरकार 27 वर्ष तक इनकी देखभाल और उच्च शिक्षा के लिए उचित सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए दूध के खरीद मूल्य में 6 रुपये की बढ़ोतरी की है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पिछले मानसून के दौरान राज्य को इतिहास की सबसे बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा। केन्द्र सरकार से कोई भी विशेष राहत पैकेज न मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों के साथ प्रभावितों के लिए 4500 करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज का प्रावधान किया। प्रभावित लोगों को पर्याप्त सहायता मिल सके, इसके लिए गृह निर्माण के लिए सरकारी दरों पर सीमेंट बैग के अतिरिक्त मुफ्त बिजली व पानी के कनेक्शन और गैस सिलेण्डर प्रदान किए गए। इसके साथ ही प्रभावितों को ग्रामीण क्षेत्रों में 5000 और शहरी क्षेत्रों में 10,000 रुपये मासिक किराये के रूप में दिए जा रहे हैं। पूरी तरह से क्षतिग्रस्त घर पर दिए जाने वाले 1.30 लाख रुपये के मुआवजे को साढ़े पांच गुणा बढ़ाकर सात लाख रुपये किया गया है। घर को आंशिक नुकसान होने पर भी मुआवजा राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है।