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नन्ही कली

नन्ही कली जो मसल दी गई फूल बनने से पहले पुकारती, चीखती सी कहती मां से, मां तुम इतनी निष्ठुर कैसे हो गई, जानती हो तुम कि आधार है लडकी इस समाज का, रंगहीन है संसार इसके बिना, दो वंशों की आन है लडकी और तुम-तुम इसे गर्भ में मिटाने पर तुली हो, बदलनी है ...