संवाददाता

डा. एस. एन. सुब्बाराव के जन्मदिन पर विशेष

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दुनिया में भाईचारे एवं सद्भाव की अलख जगाते  रहे डॉ. एस. एन. सुब्बा राव 

 सोलन: प्रख्यात गांधीवादी विचारक डॉ. एस.एन. सुब्बाराव का आज जन्मदिन है। सादा जीवन उच्च विचार का आदर्श कथन जिस परिपक्वता एवं मानदण्डों के साथ इस शख्शियत पर पूरी तरह से फिट बैठता है। कदाचित मेरी नज़र मैं ऐसा कोई दूसरा इंसान नहीं। आदर्श और नैतिकता के जिन उच्च मानदंडों को डॉ. एस. एन. सुब्बा राव (भाई जी ) ने जी कर दिखाया, उन बुलंदियों पर पहुंच पाना तो दूर उनकी कल्पना करना भी आम आदमी की हैसियत में नहीं।

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देश और दुनिया में भाईचारे एवं सद्भाव का अलख जगाते भाई जी ने जिस सादगी और ईमानदारी से अपना जीवन जिया वह हम सभी के लिए एक मिसाल है। जिस संकल्प के साथ भाई जी पीड़ित मानवता के साथ अपने सरोकार स्थापित कर उनके सामाजिक न्याय की पैरवी करते हैं वैसा कोई दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलता। भाई जी की नैतिकता एवं आदर्श केवल भाषण और व्याख्यानों में नहीं अपितु उन्होंने इसे अपने जीवन में आत्मसात कर दिखाया। जिस शिद्दत से भाई जी ने युवाओं को देशभक्ति एवं नैतिकता के संस्कार देने की फिक्र की हमारी हुकूमतें इसके आंशिक प्रयास करती तो देश के हालात बदल सकते थे।

भाई जी ने गांधी जी के विचार एवं आदर्शों को अपनी दिनचर्या एवं कार्य व्यवहार में इस कदर शामिल किया कि देश और दुनिया के लोगों को उनमें ही गांधी जी की छवि नज़र आने लगी। जीवन भर समाज में सद्भाव,भाई चारा एवं प्रेम का संदेश बांटते हुए एक मुसाफिर की तरह चलते रहना उनकी नियति रही। जो कुछ मिल गया स्वीकार जो नहीं मिला उसकी कभी चाह नहीं कोई शिकवा नहीं। कदाचित उन्होंने कभी किसी से कुछ चाहा ही नहीं।

घर बाहर, ट्रेन में हर समय प्यार लुटाते चलते रहना डा. सुब्बाराव का स्वभाव था। भाई जी का यायावर जीवन उनके बसुधैब कुटुम्ब कम की वैदिक अभिधारणा को साकार करने की व्यग्रता को प्रदर्शित करता है। शायद वे अपने इस लक्ष्य को शीघ्रता से पूरा करना चाहते थे। काफी हद तक वे अपने लक्ष्य के नजदीक भी पहुंच गए। फिर भी देश और दुनिया में फैली हिंसा,अशांति, विद्वेष और अलग-अलग देशों के बीच नजर आते तनाव एवं युद्ध के हालातों को देखते हुए लगता है कि भाई जी का बहुत सा काम अभी अधूरा है। भाई जी के जाने के बाद इस काम को पूरा करने की जवाबदारी हम सभी को लेना होगी। देश के लिए समाज के लिए हमें भाई जी के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना होगा। इंसानियत के लिए इंसाफ के लिए मानवता के लिए उनके बताएं रास्ते पर हमें चलना ही होगा।

*चंबल को कर्मभूमि बनाकर दिलाई प्रतिष्ठा*

चंबल की धरती का यह सौभाग्य है कि हजारों किलोमीटर दूर जन्म लेने वाले भाई जी ने चंबल की धरती को न केवल अपनी कर्म भूमि बनाया अपितु उसे नई पहचान देकर विकास के की नई राह प्रशस्त की। जौरा जैसे छोटे कस्बे में सामूहिक बागी समर्पण जैसी वैश्विक घटना को अंजाम देकर महात्मा गांधी के अहिंसा के मंत्र की ताकत को पुनः सिद्ध कर दिया।लगभग आधी सदी पूर्व हिंसा एवं बागी समस्या से ग्रसित चंबल में सामूहिक बागी समर्पण कराकर डा. एस.एन. सुब्बाराव जी ने शांति के नये युग का प्रारंभ किया।

कर्नाटक बेंगलुरु शहर में 7 फरवरी 1929 में जन्म लेने के बावजूद डा. सुब्बाराव जी ने चंबल क्षेत्र को अपनी कर्म भूमि बना लिया। चंबल क्षेत्र में शांति स्थापना एवं विकास के नए युग कै लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले सुब्बाराव जी को चंबल के लोगों ने उन्हें प्यार से भाई जी जैसा आत्मीय संबोधन दिया। 27 अक्टूबर 2021 उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी भाई जी की इच्छा के मुताबिक उनके द्वारा स्थापित महात्मा गांधी सेवा आश्रम परिसर में किया गया। इससे मध्य प्रदेश एवं चंबल अंचल को नई प्रतिष्ठा मिली है।

*भटकाव के क्षणों में राह दिखाने वाला प्रकाश स्तंभ*

भाई जी का संपूर्ण जीवन वृत भटके हुए लोगों को प्रकाश स्तंभ की तरह नई राह दिखाने वाला है। जीवन के तनावग्रस्त लम्हों में जी के विचार हमें सहारा देकर जीवन के अंधेरों से बाहर निकलने में समर्थ होते हैं। भागम भाग भरे इस दौर में आज ठहर कर जीना काफी कठिन है। भाग दौड़ की इस दुनिया में आदमी आज आदमी को भूलते जा रहा है। धैर्य और संकल्प से आदमी अपनी राह चले तो वह सफल हो सकता है लेकिन उसे भाई जी जैसे विचारों की दृढ़ता की आवश्यकता है।