मंडी: जलवायु परिवर्तन न केवल पश्चिमी हिमालय के लिए बल्कि पृथ्वी पर मानव सहित समस्त जीव धारियों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। यह उदगार मुख्य वक्ता डॉ.ओ.सी. हांडा ने रविंद्र नाथ टैगोर राजकीय महाविद्यालय सरकाघाट में आयोजित पर्यावरण से संबंधित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के अवसर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए एकजुट होना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ विजय ठाकुर प्रोफेसर एडिनबर्ग यूनाइटेड किंगडम ने पारंपरिक तौर तरीकों की तरफ जाने के बात कहीं । उन्होंने जैविक पदार्थों का उपयोग करने पर पुरजोर डाला और बताया कि कुछ जैविक अपशिष्ट को भी हम उपयोग में ला सकते हैं, जिन्हें हम अनुपयोगी समझ कर फेंक देते हैं।

डॉ दिवेश चहल प्रोफेसर केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा जोकि साउथ अफ्रीका से ऑनलाइन माध्यम से सम्मेलन में जुड़े। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि जीवन और जीविका में संतुलन होना चाहिए। उन्होंने अपने शब्दों में गांधी जी के विचारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह धरा मनुष्य की जरूरतों को पूरा कर सकती है, लेकिन उसके लालच को कभी पूरा नहीं कर सकती, इसलिए हमें अपने व्यवहार को बदलने की आवश्यकता है।

कांफ्रेंस में देश-विदेश के 220 प्रतिभागियों ने भाग लिया। देश के 12 राज्यों से प्रतिभागी ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से इस सम्मेलन में जुड़े। सम्मेलन के मुख्य अतिथि अतिरिक्त शिक्षा निदेशक डॉ आशीथ कुमार थे। कॉलेज के प्राचार्य डॉ आर. आर. कौंडल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा डॉ रमेश चंद ढलारिया, कांफ्रेंस समन्वयक ने सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों को उजागर किया।
इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 13 तकनीकी सत्र हुए । इस सम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉक्टर के डी एस बेदी उपाध्यक्ष चितकारा यूनिवर्सिटी रहे।

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