हिमाचल में कर्नल शेर जंग राष्ट्रीय उद्यान बनेगा पर्यटन का नया केंद्र

नाहन : हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब स्थित कर्नल शेर जंग राष्ट्रीय उद्यान, सिम्बलवाड़ा को पर्यटन के नक्शे पर एक नई पहचान देने की तैयारी चल रही है। विधानसभा में पांवटा साहिब के विधायक सुख राम चौधरी द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने इस अभ्यारण्य की जैव-विविधता और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा पेश किया। यह क्षेत्र न केवल वन्य जीव प्रेमियों, बल्कि प्रकृति और साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा।

कर्नल शेर जंग राष्ट्रीय उद्यान, सिम्बलवाड़ा में जंगली जानवरों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ तेंदुआ (बघेरा), साम्बर, चीतल, बारकिंग हिरण (ककड़), नील गाय, घोरल, सियार (गीदड़), जंगली बिल्ली (बण बिल्ला), पीले गले वाला नेवला, जंगली सुअर (सुअर) और साही (शैल) जैसे जानवर देखे जा सकते हैं। हाल के दिनों में इस क्षेत्र में हाथी और बाघ की मौजूदगी भी दर्ज की गई है, जो इसकी महत्ता को और बढ़ाती है। इसके अलावा, लगभग 70 प्रकार की तितलियाँ इस अभ्यारण्य की सुंदरता में चार चाँद लगाती हैं। यह जैव-विविधता न केवल वैज्ञानिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है।

पर्यटन विकास के लिए ठोस कदम
सरकार ने इस अभ्यारण्य को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए व्यापक योजना तैयार की है। वर्ष 2018-19 से 2027-28 तक की 10 वर्षीय प्रबंधन योजना में पारिस्थितिकी पर्यटन (ईको-टूरिज्म) को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। हिमाचल प्रदेश पारिस्थितिकी पर्यटन नीति 2017 (संशोधित) और भारत सरकार के 2021 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए स्थानीय समुदाय की भागीदारी को प्राथमिकता दी जा रही है।

पर्यटन विभाग ने इस परियोजना के लिए 31 लाख रुपये की धनराशि आवंटित की है। इस बजट से सिम्बलवाड़ा से गुलर पेड़ तक सफारी रोड की मरम्मत, पर्यटकों के लिए एक सफारी वाहन की खरीद और पांच माउंटेन बाइक उपलब्ध कराने का कार्य शुरू किया गया है। इसके अलावा, सिम्बलवाड़ा से अमरगढ़ रोड की वार्षिक मरम्मत और अमरगढ़ में टेंट प्लेटफॉर्म के साथ एक कैंपिंग साइट का निर्माण भी पूरा हो चुका है।

ट्रैकिंग और साहसिक गतिविधियों का केंद्र
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई ट्रैकिंग रूट चिन्हित किए गए हैं, जिनमें धौलाकुआं से सिम्बलवाड़ा (12 किमी), माजरा से सिम्बलवाड़ा (12 किमी), सिम्बलवाड़ा से कारवे का खाला (2 किमी), सिम्बलवाड़ा से मरूसिद्ध (2 किमी), आर.एफ. घुडक (3 किमी) और मरूसिद्ध खाला से मरूसिद्ध रिज (2 किमी) शामिल हैं। इन पथों पर नेचर ट्रेल वॉक, ट्रैकिंग, हाइकिंग और साइकिलिंग जैसी गतिविधियाँ शुरू की जाएंगी। सुबह और शाम के समय वन्य जीवों को देखने के लिए जंगल सफारी की सुविधा भी उपलब्ध होगी। बर्ड वॉचिंग के शौकीनों के लिए यह क्षेत्र खासा रोमांचक साबित होगा।

स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर
ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ईको डेवलपमेंट कमेटी (EDC) का गठन प्रस्तावित है, जिसमें सभी हितधारकों को शामिल किया जाएगा। यह कमेटी न केवल अभ्यारण्य के विकास में योगदान देगी, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी। अमरगढ़ और आर.एफ. कालुदेव में शिविर स्थलों का निर्माण भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रचार और रखरखाव पर जोर
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ट्रैकिंग पाथ और कैंपिंग साइटों के रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके साथ ही, जागरूकता फैलाने के लिए कॉलेज छात्रों द्वारा समय-समय पर स्वच्छता अभियान भी चलाए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि ये प्रयास न केवल इस क्षेत्र को पर्यटन के नक्शे पर स्थापित करेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास में भी योगदान देंगे।

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पंकज जयसवाल

पंकज जयसवाल, हिल्स पोस्ट मीडिया में न्यूज़ रिपोर्टर के तौर पर खबरों को कवर करते हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 2 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वह समाज सेवी संगठनों से जुड़े रहे हैं और हजारों युवाओं को कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ साथ रोजगार दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।