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अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में डग्याली नाच व हाटी की नाटी की धूम

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नाहन: आसरा संस्था जालग, पझौता के कलाकारों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के सीबीसी चंडीगढ, के सौजन्य से गोवा के पणजी में 20 से 28 नवम्बर तक आयोजित 55 वें अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सिरमौर के डग्याली नाच व हाटी की नाटी का मनमोहक प्रदर्शन कर फिल्म फेस्टिवल में देश विदेश से आए हजारों दर्शकों और फिल्म जगत की जानी मानी हस्तियों को हिमाचली पारंपरिक संस्कृति से रूबरू करवाया। ये जानकारी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार एवं वर्ल्ड रिकॉर्ड हॉल्डर डॉ जोगेन्द्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में दी।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सीबीसी केन्द्र की चयन समिति द्वारा सिरमौर जिला के डग्याली नाच को विशेष रूप से फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिए चुना गया था। सीबीसी दिल्ली की गोपा बिसवास और चण्डीगढ केन्द्र के बलजीत सिंह के दिशानिर्देश व देखरेख में विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने फिल्म फेस्टिवल में बहुरंगी भारत की संस्कृति को एक मंच पर प्रदर्शित कर अनेकता में एकता का संदेश दिया।

sirmouri nati

फिल्म फेस्टिवल में आसरा के कलाकारों द्वारा डग्याली नाच के साथ सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की हाटी की नाटी अनेकों मंचों पर प्रदर्शित की गई जिसकी दर्शकों ने भरपूर प्रशंसा की।गौरतलब है कि पदमश्री विद्यानन्द सरैक व डा0 जोगेन्द्र हाब्बी द्वारा डग्याली नाच पर पिछले कई वर्षो से अध्ययन कार्य किया जा रहा है। इन दोनों शोधकर्ताओं के निर्देशन में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुस्कार से सम्मानित कलाकार गोपाल हाब्बी द्वारा अन्य कलाकारों के सहयोग से हाब्बी मानसिंह कलाकेन्द्र जालग में मुखौटों तथा परिधानों का निर्माण भी हो रहा है।

गोवा में डग्याली के मुखौटों और परिधानों को दर्शकों ने बहुत पसन्द किया और फिल्म फेस्टीवल के दौरान सेल्फी लेने के लिए दर्शक बेहद उत्सुक रहे। 55वें अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में आसरा के लोक कलाकारों में गोपाल हाब्बी, रामलाल वर्मा, चमनलाल, देवीराम, संदीप, आरती, हेमलता, अनुजा, सरोज आदि कलाकारों ने सुप्रसिद्ध सिरमौरी लोक गायक धर्मपाल ठाकुर व रामलाल वर्मा द्वारा गाए गीतों पर नृत्य कर दर्शकों की वाहवाही लूटी तथा विभिन्न मंचों पर डग्याली नाच, दीपक, परात, ठोडा, रिहाल्टी गी, रासा आदि नृत्यों का प्रदर्शन कर विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुतियों के मध्य सिरमौरी हाटी संस्कृति को विशेष पहचान दिलाई।

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