धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)। दलाई लामा के शीर्ष सहयोगी टेम्पा सेरिंग ने शनिवार को कहा कि तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू ने पिछले पांच दशकों की भारत की सेवा के लिए धन्यवाद देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ पिछले हफ्ते शिष्टाचार भेंट की। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं था।
दिल्ली में दलाई लामा के प्रतिनिधि कलोन टेम्पा सेरिंग ने कहा, “”वह पिछले 50 वर्षो से भारत में रह रहे हैं। इस बैठक में कुछ भी विशेष नहीं था। उन्होंने भारत द्वारा की गई देखभाल के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।”” बहरहाल उन्होंने कहा कि भारतीय नेताओं के साथ समय-समय पर दलाई लामा की होने वाली मुलाकातों में से यह एक थी।
सेरिंग ने प्रधानमंत्री और दलाई लामा की 11 अगस्त को हुई मुलाकात पर कहा, “”इसमें असामान्य क्या हैक् वह भारतीय नेताओं के साथ मुलाकात करते रहते हैं।””
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सत्ता में वापस लौटने के बाद से प्रधानमंत्री और दलाई लामा के बीच यह पहली मुलाकात है। उन्होंने कहा, “”उन्होंने उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी से एक वर्ष पहले मुलाकात की थी।
विदेश मंत्री ने दलाई लामा से मिलने के लिए धर्मशाला की यात्रा की।”” विदेश सचिव निरूपमा राव ने पिछले महीने धर्मशाला का दौरा किया और दलाई लामा तथा उनके वरिष्ठ सहयोगियों से मुलाकात की।
भारत में निर्वासित जिंदगी जीने वाले तिब्बती लोग तिब्बती लोकतांत्रिक प्रणाली का नेतृत्व करने के लिए अपने धर्मगुरू दलाई लामा का अगले महीने सम्मान करेंगे। तिब्बत की निर्वासित संसद के प्रवक्ता पेंपा सेरिंग ने बताया, “”यह हमारे लिए एक बहुत ब़डा दिन होगा और हम इसे बाइलाकुप्पी (कर्नाटक) में ब़डे स्तर पर मनाएंगे। हम दलाई लामा द्वारा वर्षो से की जा रही नि:स्वार्थ सेवा के लिए उनका सम्मान करेंगे और उन्हें एक गोल्डन सील देंगे।”” मैसूर के नजदीक बाइलाकुप्पी में दो सितंबर को आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में दलाई लामा को गोल्डन सील भेंट की जाएगी। हजारों तिब्बतियों के साथ भारत में रह रहे दलाई लामा पिछले पांच दशक से यहां हैं।
जब चीन की सेना ने 1959 में तिब्बत में प्रवेश कर लहासा शहर पर कब्जा कर लिया था तभी से तिब्बती लोग यहां रह रहे हैं। वर्ष 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त कर चुके दलाई लामा और तिब्बत की निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के पह़ाडी शहर धर्मशाला में रह रहे हैं।
सम्मान समारोह की तैयारियों का जिक्र करते हुए सेरिंग ने कहा, “”यह समारोह लगभग आधे दिन तक चलेगा। सामान्य प्रार्थनाओं के अलावा वहां अन्य कार्यक्रम और वक्तव्य होंगे। हमने समारोह में हिस्सा लेने के लिए 10-12 देशों के करीब 20 सांसदों को आमंत्रित किया है। हमें इस एतिहासिक समारोह में शामिल होने के लिए दुनियाभर से करीब 25,000 लोगों के आने की उम्मीद है।”” तिब्बती लोग अगले महीने भारत में उनकी लोकतांत्रिक परंपरा के 50 साल पूरे होने के अवसर पर यह समारोह मनाएंगे।
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