नाहन: राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई 1 और 2, डॉ. वाई.एस. परमार राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नाहन ने आज डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य बाबा साहब के सामाजिक समता और न्याय के विचारों को बढ़ावा देना था।
पहले कार्यक्रम के तहत “सशक्त एवं समरस राष्ट्र के निर्माण में डॉ. अंबेडकर जी का योगदान” विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. मेघराम गढ़वीर, सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर (इतिहास), जेएनवी विश्वविद्यालय, जोधपुर ने गूगल मीट के माध्यम से अपने उद्बोधन में बताया कि डॉ. अंबेडकर ने जीवनभर सामाजिक समता और बंधुता के लिए कार्य किया।

उन्होंने हिंदू समाज में व्याप्त अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए शांतिपूर्ण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया। डॉ. गढ़वीर ने बताया कि बाबा साहब ने देश के विभाजन का विरोध किया और समान नागरिक संहिता तथा धारा 370 के खिलाफ विचार रखे। बौद्ध धर्म अपनाकर उन्होंने सामाजिक विकृतियों के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। भारतीय संविधान को उन्होंने “अंबेडकर स्मृति” के रूप में प्रस्तुत किया।
दूसरे कार्यक्रम के रूप में डॉ. अंबेडकर की जीवनी पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। इसमें कतर, आयरलैंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गुजरात सहित विभिन्न राज्यों और देशों के 150 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता का संचालन जिला एनएसएस अधिकारी डॉ. पंकज चांडक ने किया।
तीसरे कार्यक्रम के अंतर्गत एनएसएस की बालिका स्वयंसेविकाओं ने नाहन के महिला छात्रावास में “सामाजिक न्याय की शपथ” ली। इस अवसर पर छात्राओं ने समानता, बंधुत्व और न्याय के मूल्यों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
इन सभी कार्यक्रमों के संयोजन और संचालन में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी प्रो. लक्षिता ठाकुर और जिला एनएसएस अधिकारी डॉ. पंकज चांडक का विशेष योगदान रहा। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. उत्तमा पांडेय ने एनएसएस इकाइयों की इस पहल की सराहना की और स्वयंसेवकों को डॉ. अंबेडकर के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया।