सोलन: भारत रंग महोत्सव की 25वीं वर्षगांठ पर आसरा संस्था द्वारा गत दिवस हाब्बी मान सिंह कला केन्द्र, जालग में सुने री चिड़िया लोकनाट्य का मंचन किया गया। इस लोकनाट्य का प्रदर्शन संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार भारत रंग महोत्सव की पच्चीसवीं वर्षगांठ के उपलक्ष पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली के जन भारत रंग के अंतर्गत किया गया। यह जानकारी आसरा संस्था के प्रभारी जोगेंद्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में दी। यह लोकनाट्य विशेष रूप से विकसित भारत, वसुधैव कुटुंबकम् और पंचप्रण पर आधारित रहा।
लोकनाट्य सुने री चिड़िया में यह दर्शाने का प्रयास किया गया कि एकता के अभाव में और समाज में फैली बुराइयों के कारण भारत ने सोने की चिड़िया की स्थिति को खोया है। समाज में फैली बुराइयां जैसे नशे का सेवन, छुआछूत, ऊंच नीच, भेदभाव, सांप्रदायिकता, जात पात, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि बुराइयों को दूर करने में लोकनाट्य महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। लोकनाट्यों के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों के प्रति जन मानस में जागरूकता लाई जा सकती है।
हमारी युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति, धरोहर, भारत की महानता, भारत द्वारा विश्व को क्या क्या देन दी गई आदि के बारे में अवगत करवाना आवश्यक है ताकि हमारे युवा अपनी संस्कृति को न भूलें और अपनी संस्कृति और अपनी विरासत पर गर्व करें।
सूने री चिड़िया लोकनाट्य का प्रदर्शन गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक के मार्गदर्शन में तथा वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके सुविख्यात लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी के निर्देशन में किया गया। लोकनाट्य के पात्रों में मुख्य भूमिका गोपाल हाब्बी व रामलाल वर्मा ने निभाई। इसके अलावा सरोज, चमन, मनमोहन, अमीचंद, सुनील, अनु, हेमलता, आरती, संदीप, देवी राम आदि कलाकारों ने भी अपने अपने किरदार को बखूबी निभाया।
इस लोकनाट्य में कलाकारों ने ग्रामीण परिवेश और स्थानीय बोली में बताया कि नाटकों और लोकनाट्यों का समाज में जागरूकता लाने में पहले भी योगदान रहा है और भविष्य में भी रहेगा। नाटकों एवं लोकनाट्यों के द्वारा समाज में फैली बुराइयों के प्रति जागरूकता लाकर समाज में बदलाव लाया जा सकता है। कलाकारों ने पांच प्रण लेकर भारत को विकसित राष्ट्र तथा विश्व गुरु बनने और भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाने के सपने को साकार करने की बात कही।